अतिशयोक्ति अलंकार: परिभाषा, प्रकार और प्रभावशाली उदाहरण
अतिशयोक्ति अलंकार क्या है?
- अतिशयोक्ति अलंकार हिंदी काव्य का एक प्रमुख अर्थालंकार है जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति का वर्णन वास्तविकता से कहीं अधिक बढ़ा-चढ़ाकर किया जाता है।
- यह अलंकार काव्य को अधिक प्रभावशाली और रोचक बनाता है।
अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा
- “जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति का वर्णन सामान्य सीमा से अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।”
अतिशयोक्ति अलंकार की विशेषताएँ:
- वास्तविकता से परे वर्णन
- प्रभाव बढ़ाने के लिए उपयोग
- कल्पना शक्ति का विस्तार
- काव्य को रोचक बनाना
- भावों को तीव्रता से व्यक्त करना
अतिशयोक्ति अलंकार के प्रकार
- यह दो प्रकार का होता है
- मात्रात्मक अतिशयोक्ति
- गुणात्मक अतिशयोक्ति
मात्रात्मक अतिशयोक्ति
- जब मात्रा या संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाए।
उदाहरण:
“सहस्र बाहु भुजा लंबी करौ”
गुणात्मक अतिशयोक्ति
- जब किसी के गुणों को असामान्य रूप से बढ़ाकर दिखाया जाए।
उदाहरण:
“उसकी मुस्कान से सारा उजाला हो गया”
10+ उदाहरण सहित समझें
- “हनुमान की पूँछ से लंका जल गई”
- “उसके रोने से नदियाँ उमड़ पड़ीं”
- “उसकी चाल से पृथ्वी काँप उठी”
- “वह इतना रोया कि आँसुओं से नदी बह निकली”
- “उसकी हँसी सुनकर फूल खिल उठे”
- “उसकी आँखों की चमक से अँधेरा दूर भाग गया”
- “वह इतना बोला कि पहाड़ भी थक गए”
- “उसके क्रोध से आकाश फट पड़ा”
- “उसके प्रेम की गर्मी से हिमालय पिघल गया”
- “वह इतना दुबला था कि छाया भी नहीं बनती थी”
अतिशयोक्ति अलंकार का महत्व
- यह काव्य को प्रभावशाली बनाता है
- यह भावों को तीव्रता से व्यक्त करता है
- यह पाठक की कल्पना शक्ति को उत्तेजित करता है
- यह वर्णन को रोचक और आकर्षक बनाता है
- यह काव्य को यादगार बनाता है
विशेषता | अतिशयोक्ति | उत्प्रेक्षा |
---|---|---|
प्रकृति | वर्णन को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना | संदेह/कल्पना व्यक्त करना |
उद्देश्य | प्रभाव बढ़ाना | समानता का आभास देना |
उदाहरण | हनुमान की पूँछ से लंका जल गई | वह मनु चंद्रमा है |
निष्कर्ष
- अतिशयोक्ति अलंकार हिंदी काव्य का एक प्रभावी अलंकार है जो अत्युक्तिपूर्ण वर्णन के माध्यम से कविता को सशक्त और प्रभावपूर्ण बनाता है।
- यह कवियों द्वारा भावों को तीव्रता से व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होने वाला प्रमुख अलंकार है।