विभावना अलंकार: परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
विभावना अलंकार क्या है?
- विभावना अलंकार हिंदी काव्य का एक विशेष अर्थालंकार है जिसमें बिना कारण के ही किसी विशेष परिणाम की उत्पत्ति दिखाई जाती है।
- यह अलंकार काव्य में चमत्कारिक प्रभाव उत्पन्न करता है।
विभावना अलंकार की परिभाषा
“जहाँ कारण के अभाव में ही किसी विशेष परिणाम की उत्पत्ति दिखाई जाए, वहाँ विभावना अलंकार होता है।”
विभावना अलंकार की मुख्य विशेषताएं:
- कारण के बिना परिणाम की प्रस्तुति
- चमत्कारिक प्रभाव की उत्पत्ति
- काव्य को अद्भुत और रोचक बनाना
- पाठक की कल्पना शक्ति को उत्तेजित करना
- भावों को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करना
विभावना अलंकार के प्रकार:
- कारणाभाव विभावना
- हेतु विभावना
कारणाभाव विभावना अलंकार
- जब कारण के अभाव में ही परिणाम दिखाया जाए।
उदाहरण:
- “बिना बादल के बरसा जल”
हेतु विभावना अलंकार
- जब कारण और परिणाम में असंगति हो।
उदाहरण:
- “चंदन से आग लग गई”
विभावना अलंकार के उदाहरण
- बिना बादल के बरसा जल
- चंदन से आग लग गई
- बिना धूप के खिले कमल
- बिना हवा के हिले पेड़
- बिना तेल के जल दिया
- बिना बीज के उगा पौधा
- बिना सूरज के दिन हुआ
- बिना मेहनत के मिला फल
- बिना लिखे पढ़ लिया
- बिना बोए उगी फसल
विभावना अलंकार के साहित्यिक महत्व:
- यह काव्य को चमत्कारिक और रोचक बनाता है
- यह पाठक की कल्पना शक्ति को उत्तेजित करता है
- यह भावों को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करता है
- यह काव्य को यादगार बनाता है
- यह सामान्य को असामान्य ढंग से प्रस्तुत करता है
विशेषता | विभावना अलंकार | अतिशयोक्ति अलंकार |
---|---|---|
प्रकृति | कारण के बिना परिणाम | वर्णन को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना |
उद्देश्य | चमत्कारिक प्रभाव | प्रभाव बढ़ाना |
उदाहरण | बिना बादल के बरसा जल | हनुमान की पूँछ से लंका जल गई |
निष्कर्ष:
- विभावना अलंकार हिंदी काव्य का एक विशेष अलंकार है जो कारण के अभाव में परिणाम की उत्पत्ति दिखाकर काव्य को चमत्कारिक और रोचक बनाता है।
- यह कवियों द्वारा भावों को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है।