दीर्घ संधि: परिभाषा, नियम और उदाहरण – हिंदी व्याकरण का संपूर्ण ज्ञान
- दीर्घ संधि हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अध्याय है जो प्रतियोगी परीक्षाओं (UPSC, SSC, राज्य PSCs, शिक्षक भर्ती) में अक्सर पूछा जाता है।
- यह स्वर संधि का प्रकार है जहाँ दो स्वरों के मेल से दीर्घ स्वर (आ, ई, ऊ) बनता है। आइए, इसके नियमों, प्रकारों और उदाहरणों को विस्तार से समझें।
दीर्घ संधि:-
सूत्र:- अक: सवर्णे दीर्घ:
- अर्थात् अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्ण आये तो दोनो मिलकर दीर्घ बन जाते हैं।
दीर्घ संधि: परिभाषा और नियम
- ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं।
- जब दो स्वरों के मेल से दीर्घ स्वर (आ, ई, ऊ) बनता है, तो उसे दीर्घ संधि कहते हैं।
मुख्य नियम
- इसके तीन मुख्य नियम हैं:
अ/आ + अ/आ = आ
इ/ई + इ/ई = ई
उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
अ/आ + अ/आ = आ
- जब पहला शब्द अ या आ से समाप्त हो और दूसरा शब्द अ या आ से शुरू हो, तो दोनों का मेल “आ” में हो जाता है।
उदाहरण:
- विद्या + आलय = विद्यालय
- महा + आत्मा = महात्मा
- गंगा + अंब = गंगांब (गंगाम्ब)
इ/ई + इ/ई = ई
- जब पहला शब्द इ या ई से समाप्त हो और दूसरा शब्द इ या ई से शुरू हो, तो दोनों का मेल “ई” में हो जाता है।
उदाहरण:
- गिरि + इंद्र = गिरींद्र
- नदी + इश = नदीश
- प्रति + इक = प्रतीक
उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
- जब पहला शब्द उ या ऊ से समाप्त हो और दूसरा शब्द उ या ऊ से शुरू हो, तो दोनों का मेल “ऊ” में हो जाता है।
उदाहरण:
- भानु + उदय = भानूदय
- वधू + उत्सव = वधूत्सव
- अनु + उप = अनूप
संधि शब्द | संधि रूप | नियम |
---|---|---|
महा + अधिकारी | महाधिकारी | अ + अ = आ |
गुरु + उपदेश | गुरूपदेश | उ + उ = ऊ |
सदा + आनंद | सदानंद | आ + आ = आ |
भानु + उदय | भानूदय | उ + उ = ऊ |
अनु + उप | अनूप | उ + उ =ऊ |
परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रमुख बिंदु
1. अपवाद स्थितियाँ:
- कुछ शब्दों में दीर्घ संधि नहीं होती:
- प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष (यहाँ गुण संधि है)
- सु + अच्छा = सुअच्छा (संधि नहीं)
2. विसर्ग की भूमिका:
- विसर्ग (:) के बाद स्वर आने पर दीर्घ संधि हो सकती है:
- निः + आकार = निराकार
3. संस्कृत vs हिंदी:
- दीर्घ संधि मूलतः संस्कृत का नियम है, लेकिन हिंदी में भी प्रयुक्त होता है।
पैरामीटर | दीर्घ संधि | गुण संधि |
---|---|---|
स्वरों का मेल | समान स्वरों का मेल | असमान स्वरों का मेल |
परिणाम | दीर्घ स्वर (आ, ई, ऊ) | ए, ओ, अय्, आव् |
उदाहरण | विद्यालय (विद्या + आलय) | सदैव (सदा + एव) |
उदाहरण
अ/आ + अ/आ = आ
- अ + अ = आ
- धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
- अ + आ = आ
हिम + आलय = हिमालय - अ + आ =आ
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय - आ + अ = आ
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी - आ + आ = आ
विद्या + आलय = विद्यालय
इ और ई की संधि
इ + इ = ई
- रवि + इंद्र = रवींद्र
- मुनि + इंद्र = मुनींद्र
इ + ई = ई
- गिरि + ईश = गिरीश
- मुनि + ईश = मुनीश
ई + इ = ई
- मही + इंद्र = महींद्र
- नारी + इंदु = नारींदु
ई + ई = ई
- नदी + ईश = नदीश
- मही + ईश = महीश
उ और ऊ की संधि
उ + उ = ऊ
- भानु + उदय = भानूदय
- विधु + उदय = विधूदय
उ + ऊ = ऊ
- लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
- सिधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
ऊ + उ = ऊ
- वधू + उत्सव = वधूत्सव
- वधू + उल्लेख = वधूल्लेख
ऊ + ऊ = ऊ
- भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
- वधू + ऊर्जा = वधूर्जा
परीक्षा तैयारी के लिए टिप्स
1. नियमों को कंठस्थ करें:
- अ/आ + अ/आ = आ
- इ/ई + इ/ई = ई
- उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
2. सामान्य उदाहरण याद रखें:
- विद्या + आलय = विद्यालय
- गिरि + इंद्र = गिरींद्र
- भानु + उदय = भानूदय
3. संधि विच्छेद का अभ्यास करें:
- महात्मा = महा + आत्मा
- नदीश = नदी + इश
4. अपवादों पर ध्यान दें:
- प्रत्यक्ष (प्रति + अक्ष) जैसे शब्दों में दीर्घ संधि नहीं होती।
पिछले वर्षों के प्रश्न (Previous Year Questions)
प्रश्न. ‘महा + ईश’ का संधि रूप क्या होगा?
(UPTET)
(a) महेश
(b) महीश
(c) माहेश
(d) महइश
उत्तर: (a) महेश
प्रश्न: ‘विधि + इंद्र’ का संधियुक्त रूप क्या है?
(CTET)
(a) विधींद्र
(b) विधीइंद्र
(c) विध्यिंद्र
(d) विधीन्द्र
उत्तर: (a) विधींद्र
प्रश्न: किस विकल्प में दीर्घ संधि है?
(MPPSC)
(a) सदाचार
(b) नीरस
(c) विद्यालय
(d) पर्यावरण
उत्तर: (c) विद्यालय
प्रश्न: ‘भानु + उदय’ का संधि विच्छेद कौन-सा है?
(UP Police)
(a) भानू + उदय
(b) भानु + उदय
(c) भा + नूदय
(d) भानूदय
उत्तर: (b) भानु + उदय
प्रश्न ‘गुरु + उपदेश’ में कौन-सी संधि है?
(SSC CHSL)
(a) गुण संधि
(b) दीर्घ संधि
(c) वृद्धि संधि
(d) यण संधि
उत्तर: (b) दीर्घ संधि
निष्कर्ष
- दीर्घ संधि हिंदी व्याकरण का आधारभूत टॉपिक है जिसमें नियम स्पष्ट और सरल हैं।
- परीक्षा में इससे संबंधित प्रश्न सीधे नियमों और उदाहरणों पर आधारित होते हैं।
- दीर्घ संधि की पहचान, संधि-विच्छेद और संधियुक्त शब्द बनाने का अभ्यास करके आप इस खंड में पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- पिछले वर्षों के प्रश्नों का समावेश आपको परीक्षा पैटर्न समझने में मदद करेगा।
Social Media Page