NATO (नाटो) | NORTH ATLANTIC TREATY ORGANISATION (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन )
स्थापना | 4 अप्रैल 1949 |
मुख्यालय | ब्रसेल्स (बेल्जियम) |
वर्तमान महासचिव | जेन्स स्टोल्टेनबर्ग (1 अक्टूबर 2024 तक) |
अगला महासचिव | जेम्सरूटे (1 अक्टूबर 2024 से) |
कुल सदस्य देश | 32 |
नाटो का परिचय
- नाटो (NATO) यानी **North Atlantic Treaty Organization** (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन)
- यह एक सैन्य संगठन है
- गठन के समय सदस्यों की संख्या ⇒ 12
- जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों की सामूहिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- नाटो का मूल सिद्धांत है “एक के लिए सभी, सभी के लिए एक”।
- यदि कोई देश सदस्य देशों पर हमला करता है तो समस्त सदस्य देशों पर हमला माना जायेगा और नाटो सदस्य देश मिलकर हमला करेंगे
नाटो के मुख्य उद्देश्य
सामूहिक सुरक्षा
- किसी भी सदस्य पर हमले को सभी पर हमला मानना
लोकतंत्र की रक्षा
- लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना
शांति बनाए रखना
- वैश्विक स्तर पर शांति स्थापित करना
संकट प्रबंधन
- संघर्ष रोकथाम और संकट प्रबंधन
सुरक्षा सहयोग
- आतंकवाद और साइबर हमलों से निपटना
नाटो का ढांचा
उत्तरी अटलांटिक परिषद
- सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय
सैन्य समिति
- सैन्य सलाहकार निकाय
संयुक्त सैन्य कमान
- सैन्य संचालन के लिए जिम्मेदार
महासचिव
- नाटो का प्रमुख (वर्तमान में जेन्स स्टोलटेनबर्ग)
नाटो का इतिहास
- 1949: स्थापना (12 संस्थापक सदस्य)
- 1955: वारसॉ संधि का गठन (सोवियत प्रतिक्रिया)
- 1991: शीत युद्ध की समाप्ति
- 1999: पहला विस्तार (पोलैंड, हंगरी, चेक गणराज्य)
- 2001: 9/11 के बाद आतंकवाद विरोधी अभियान
- 2022: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद महत्व में वृद्धि
- 2024: स्वीडन का नाटो में प्रवेश
नाटो का महत्व
- रूस के विस्तारवाद को रोकना
- यूरोपीय सुरक्षा का आधारस्तंभ
- वैश्विक सुरक्षा में योगदान
- लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षण
- आतंकवाद से लड़ाई
भारत और नाटो
- भारत नाटो का सदस्य नहीं है, लेकिन 2019 से “नाटो पार्टनर” देश है
- आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा पर सहयोग
- चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ अप्रत्यक्ष सहयोग
नाटो की चुनौतियाँ
- यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ा तनाव
- सदस्य देशों का रक्षा बजट लक्ष्य (GDP का 2%) पूरा न करना
- तुर्की जैसे सदस्यों के विवादास्पद रुख
- चीन का बढ़ता सैन्य प्रभाव
नाटो के सदस्य देश
- इस संगठन में कुल 32 देश सदस्य है
- इस संगठन में नये देश को सम्मलित करने के लिए सभी सदस्य देशों की सहमती आवश्यक है
- 32वा देश स्वीडन फरवरी 2024 में शामिल हुआ
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- फ्रांस
- जर्मनी
- कनाड़ा
- इटली
- पोलैंड
- पुर्तगाल
- नीदरलैंड
- हंगरी
- स्पेन
- तुर्की
- यूनान
- डेनमार्क
- नॉर्वे
- आइसलैंड
- अल्बानिया
- बेल्जियम
- बुल्गारिया
- क्रोएशिया
- चेक प्रतिनिधि
- एस्तोनिया
- लातविया
- लिथुआनिया
- लक्समबर्ग
- मोंटेनेग्रो
- उत्तर मैसेडोनिया
- रोमानिया
- स्लोवाकिया
- स्लोवेनिया
- फिनलैंड
- स्वीडन (फरवरी 2024)
निष्कर्ष
- नाटो विश्व का सबसे शक्तिशाली सैन्य गठबंधन है जो पश्चिमी देशों की सुरक्षा का आधार है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद इसका महत्व और बढ़ गया है। भविष्य में नाटो को नए सुरक्षा खतरों जैसे साइबर युद्ध और चीन के विस्तारवाद से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।