रूपक अलंकार क्या है? परिभाषा, प्रकार और 10+ सटीक उदाहरणों से समझें

रूपक अलंकार: परिभाषा, प्रकार और प्रभावशाली उदाहरण

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रूपक अलंकार क्या है?

  • रूपक अलंकार हिंदी काव्यशास्त्र का एक प्रमुख अर्थालंकार है जिसमें उपमेय और उपमान में अभेद (एकरूपता) दर्शाया जाता है।
  • यह उपमा अलंकार का ही विकसित रूप माना जाता है।

 रूपक अलंकार की परिभाषा

“जहाँ उपमेय को ही उपमान बना दिया जाए अर्थात दोनों में अभेद दर्शाया जाए, वहाँ रूपक अलंकार होता है।”

 रूपक अलंकार की विशेषताएँ:

  • उपमेय और उपमान में पूर्ण समानता
  • वाचक शब्द (जैसे, सा, सम) का अभाव
  • अभेदार्थक प्रयोग

रूपक अलंकार के प्रकार

  • यह अलंकार दो प्रकार का होता है
  1. संपूर्ण रूपक
  2. अंश रूपक

संपूर्ण रूपक

  • जब वाक्य में पूर्ण अभेद दिखाया जाए।

उदाहरण:

“चरण कमल बंदौं हरि राई”

अंश रूपक

  • जब वाक्य के किसी एक अंश में ही रूपक हो।

उदाहरण:

“मुख चन्द्रमा और नयन कमल हैं”

रूपक अलंकार के 10 उदाहरण

1.
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
2.
बीती विभावरी जाग री
3.
मोर मुकुट मकराकृत
4.
नभ सितारों से जड़ा आसन
5.
हैं हाथी विशालकाय
6.
नीलकंठ कंठ उसका
7.
बाल घटा घने
8.
वाणी मधु मधुर
9.
गति बिजली तीव्र
10.
हृदय सागर विशाल
11.
चरण कमल बंदौ हरि राई।
11.
मुख चन्द्रमा है उस सुंदरी का।

रूपक अलंकार का महत्व

  • काव्य को प्रभावशाली बनाता है
  • भावों में तीव्रता लाता है
  • कल्पना को सशक्त बनाता है
  • वर्णन को संक्षिप्त पर प्रभावी बनाता है

परीक्षाओं में पूछे गए महत्वपूर्ण उदाहरण (व्याख्या सहित):

चरण कमल बंदौ हरि राई।
  उपमेय:
  •  चरण (भगवान के पैर)
उपमान:
  • कमल
अलंकार:
  • रूपक
 व्याख्या:-
  • सूरदास जी कहते हैं कि वे भगवान के चरणों को बंदन करते हैं।
  • यहाँ भगवान के चरणों की तुलना कमल से नहीं की गई है, बल्कि चरणों को ही कमल बता दिया गया है (“चरण कमल हैं”)।
  • चरण और कमल में अभेद स्थापित हो गया है।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।

उपमेय:

  • राम
    उपमान:
  • रतन धन (अमूल्य रत्न धन)
अलंकार:
  • रूपक
 व्याख्या:
  • मीराबाई कहती हैं कि उन्होंने राम रूपी रत्न धन पा लिया है।
  • यहाँ राम को ही रतन धन कहा गया है (“राम रतन धन हैं”)।
  • राम की प्राप्ति को एक अमूल्य खजाने की प्राप्ति के समान नहीं, बल्कि वही खजाना बता दिया गया है।
  • ‘है’ क्रिया का प्रयोग हुआ है।
बीती विपत्ति जब आई, तब पुरुषवर मुस्काए।

उपमेय:

  • पुरुष (व्यक्ति)

उपमान:

  • वर (श्रेष्ठ)

अलंकार:

  • रूपक

व्याख्या:

  • रहीम कहते हैं कि जब विपत्ति बीत जाती है तो श्रेष्ठ पुरुष मुस्कुराते हैं।
  • यहाँ पुरुष को ही ‘वर’ (श्रेष्ठ) कहा गया है।
  • यह बताने के लिए कि वह व्यक्ति श्रेष्ठ जैसा है, नहीं कहा गया, बल्कि सीधे उसे ‘पुरुषवर’ कह दिया गया है।
मुख चन्द्रमा है उस सुंदरी का।
उपमेय:
  • मुख (सुंदरी का चेहरा)
उपमान:
  • चन्द्रमा
अलंकार:
  • रूपक अलंकार
व्याख्या:
  • यहाँ सुंदरी के मुख की तुलना चंद्रमा से नहीं की गई है, बल्कि मुख को ही चन्द्रमा कह दिया गया है (“मुख चन्द्रमा है”)।
  • ‘है’ क्रिया का प्रयोग रूपक का स्पष्ट संकेत है।
  • उपमेय और उपमान में अभेद है।

परीक्षा में रूपक अलंकार पहचानने के टिप्स:

“है”, “हैं”, “था” पर ध्यान दें:
  • ये शब्द अक्सर रूपक का संकेत देते हैं।
वाचक शब्दों की अनुपस्थिति देखें:
  • क्या ‘सा’, ‘सी’, ‘समान’, ‘जैसे’, ‘मानो’ जैसे शब्द हैं? यदि नहीं हैं और उपमेय को सीधे उपमान के रूप में प्रस्तुत किया गया है, तो रूपक होगा।
अभेद की जाँच करें:
  • क्या वाक्य में उपमेय और उपमान को एक ही वस्तु बताया जा रहा है? यदि हाँ, तो रूपक है।
उपमा से भ्रमित न हों:
  • उपमा में तुलना होती है (A, B जैसा है), रूपक में अभेद या तादात्म्य होता है (A ही B है)।

रूपक vs उपमा अलंकार

विशेषतारूपक अलंकारउपमा अलंकार
प्रकृतिअभेद दर्शानासमानता दर्शाना
वाचक शब्दनहीं होतासा, सम, सी आदि
उदाहरणचरण कमल हैंमुख चंद्रमा-सा

निष्कर्ष

  • रूपक अलंकार हिंदी काव्य का एक प्रभावी अलंकार है जो अभेद दर्शाने के माध्यम से कविता को सशक्त और प्रभावपूर्ण बनाता है।
  • यह कवियों द्वारा प्रभाव उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त होने वाला प्रमुख अलंकार है।

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