श्लेष अलंकार: परिभाषा, प्रकार और उदाहरण पूरी जानकारी
श्लेष अलंकार क्या है?
- श्लेष अलंकार हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अलंकार है, जिसमें एक शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलते हैं।
- यह शब्दालंकार का प्रकार है, जहाँ एक ही शब्द अलग-अलग संदर्भों में विभिन्न अर्थ देता है।
श्लेष अलंकार की परिभाषा
“जहाँ एक शब्द का प्रयोग होने पर उसके कई अर्थ निकलें, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।”
श्लेष अलंकार के प्रकार
- श्लेष अलंकार दो प्रकार का होता है।
- शब्द-श्लेष
- अर्थ-श्लेष
शब्द-श्लेष
- जब एक ही शब्द के कई अर्थ निकलते हैं, लेकिन उसका उच्चारण समान रहता है।
उदाहरण
“रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानुष चून।”
यहाँ “पानी” शब्द के तीन अर्थ हैं:
- पहले पानी शब्द का अर्थ है जल(पानी)
- दुसरे पानी शब्द का अर्थ है इज्जत (मान-सम्मान)
- तीसरे पानी शब्द का अर्थ है चमक (मोती की आभा)
अर्थ-श्लेष
- जब एक ही वाक्य में दो अलग-अलग अर्थ निकलते हैं।
उदाहरण
“कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराय नर, या पाए बौराय।”
यहाँ “कनक” शब्द के दो अर्थ हैं:
- पहले कनक शब्द का अर्थ है सोना(धातु)
- दुसरे कनक शब्द का अर्थ है धतूरा (मादक पदार्थ)
श्लेष अलंकार के अन्य उदाहरण
“सुनी सखि सो सखी की बात, जाके हिये सोई बसत हिय।”
यहाँ “हिय” शब्द के दो अर्थ हैं
- हृदय (दिल)
- हीरा (रत्न)
“जो गिरिधर लाल गोपाल कहत, ते सब भूलि पड़त हैं।”
यहाँ “गिरिधर” शब्द के दो अर्थ हैं:
- गिरि (पर्वत) को धारण करने वाले (कृष्ण)
- गिरिधर नाम का एक व्यक्ति
विशेषता | श्लेष अलंकार | यमक अलंकार |
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परिभाषा | एक शब्द कई अर्थ | एक शब्द, समान ध्वनि पर अलग अर्थ |
उद्देश्य | शब्द की बहुअर्थी प्रकृति | शब्द की ध्वनि समानता |
उदाहरण | “पानी” (जल, इज्जत) | “काल” (समय, यमराज |
श्लेष अलंकार का महत्व
- यह काव्य सौंदर्य को बढ़ाता है।
- यह भाषा को चमत्कारिक बनाता है।
- यह गहरे अर्थ प्रकट करता है।
निष्कर्ष
- श्लेष अलंकार हिंदी साहित्य का एक रोचक और बहुमुखी अलंकार है, जो शब्दों के माध्यम से कई अर्थ प्रकट करता है।
- यह कवियों द्वारा काव्य को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।