विरोधाभास अलंकार क्या है? परिभाषा, विशेषताएँ और 10+ प्रभावशाली उदाहरण

विरोधाभास अलंकार: विपरीत का सामंजस्य

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विरोधाभास अलंकार क्या है?

  • विरोधाभास अलंकार हिंदी काव्य का एक विशेष अर्थालंकार है जिसमें दो विरोधी या परस्पर विपरीत अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग करके एक गहन और चमत्कारिक अर्थ प्रकट किया जाता है।
  • यह अलंकार काव्य को विशिष्ट गहराई प्रदान करता है।

विरोधाभास अलंकार की परिभाषा

  • “जहाँ विरोधी अर्थ वाले शब्दों के प्रयोग से एक नया, गहन और सार्थक अर्थ उत्पन्न हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है।”

विरोधाभास अलंकार की विशेषताएँ:

  • विपरीत अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग
  • सतही तौर पर विरोधी लेकिन गहरे अर्थ में सार्थक
  • चमत्कारिक अर्थ की उत्पत्ति
  • काव्य को गहराई और विशिष्टता प्रदान करना

विरोधाभास अलंकार के प्रकार

  1. शाब्दिक विरोधाभास
  2. आभासी विरोधाभास

शाब्दिक विरोधाभास

  • जब शब्दों का सतही अर्थ विरोधी हो।

उदाहरण:

“मरना वही जो जिएँ दिन दस”

आभासी विरोधाभास

  • जहाँ विरोध केवल आभासी हो।

उदाहरण:

  • “अन्धकार ही प्रकाश है”

10+ उदाहरण सहित समझें

“जिसको न निज गौरव तथा निज देश पर अभिमान

वह नर नहीं, नर पशु निरा है और मृतक समान”

“बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर

पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर”

“अन्धकार ही प्रकाश है”

“मौन ही मेरा संवाद है”

“विरह में ही मिलन का आनंद”

“रोकर हँसना सीखा है”

“मरना वही जो जिएँ दिन दस”

“जीत में हार छिपी है”

“दुख में सुख ढूँढ़ लिया”

“असफलता ही सच्ची सफलता है”

विरोधाभास अलंकार का महत्व

  • काव्य को गहराई और विशिष्टता प्रदान करता है
  • पाठक को चिंतन के लिए प्रेरित करता है
  • जीवन के गहन सत्यों को व्यक्त करता है
  • काव्य को यादगार और प्रभावशाली बनाता है
  • साधारण को असाधारण ढंग से प्रस्तुत करता है

विरोधाभास vs विशेषोक्ति अलंकार

विशेषताविरोधाभासविशेषोक्ति
प्रकृतिविरोधी शब्दों से अर्थकारण-कार्य का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन
उद्देश्यगहन सत्य प्रकट करनाप्रभाव बढ़ाना
उदाहरणअन्धकार ही प्रकाश हैलगनि लागी आगि सी

 निष्कर्ष

  • विरोधाभास अलंकार हिंदी काव्य की एक अनूठी शैली है जो विपरीत शब्दों के माध्यम से जीवन के गहन सत्यों को प्रकट करती है।
  • यह कवियों द्वारा दार्शनिक विचारों को व्यक्त करने में सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला अलंकार है।

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