सिंहविष्णु: पल्लव वंश के पुनरुत्थान का शिल्पी | Simhavishnu Pallava History in Hindi

सिंहविष्णु: पल्लव वंश का पुनरुत्थानकर्ता

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सिंहविष्णु: परिचय

  • सिंहविष्णु (575-600 ई.) पल्लव वंश का वह शासक था जिसने अपने शासनकाल में पल्लवों की खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया।
  • वह महेंद्रवर्मन प्रथम का पिता और पल्लव साम्राज्य के स्वर्ण युग का प्रवर्तक था।

प्रारंभिक जीवन और सत्ता प्राप्ति

  • वंश: पल्लव वंश
  • पूर्ववर्ती: शासक का नाम अज्ञात (पल्लव वंश की दुर्बल अवस्था)
  • सत्ता प्राप्ति: 575 ई. में
  • राजधानी: कांचीपुरम
  • शासनकाल: 575-600 ई. (25 वर्ष)

शासनकाल की प्रमुख उपलब्धियाँ

सैन्य विजयें

कलभ्रों का दमन

  • दक्षिण भारत में कलभ्रों के आधिपत्य को समाप्त किया

तमिल क्षेत्रों पर पुनः अधिकार स्थापित किया

चोल और पांड्य राज्यों पर विजय

श्रीलंका के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए

धार्मिक नीति

  • वैष्णव धर्म का संरक्षक
  • विष्णु मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार
  • अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णु रवैया

प्रशासनिक सुधार

  • केंद्रीकृत शासन व्यवस्था को मजबूत बनाया
  • सैन्य संगठन का पुनर्गठन
  • कृषि और व्यापार को प्रोत्साहन

ऐतिहासिक स्रोत

  • काशाक्कुडि ताम्रपत्र
  • महेंद्रवर्मन के अभिलेख
  • पल्लव ग्रंथों में उल्लेख

सिंहविष्णु का ऐतिहासिक महत्व

  • पल्लव साम्राज्य को पुनर्जीवित किया
  • दक्षिण भारत में राजनीतिक स्थिरता लाई
  • पल्लव कला और संस्कृति के विकास की नींव रखी

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

  • शासनकाल: 575-600 ई.
  • राजधानी: कांचीपुरम
  • प्रमुख युद्ध: कलभ्रों के विरुद्ध
  • विशेष योगदान: पल्लव वंश का पुनरुत्थान

निष्कर्ष

  • सिंहविष्णु ने अपने शासनकाल में पल्लव वंश को नई ऊर्जा प्रदान की।
  • उसके प्रयासों के कारण ही पल्लव साम्राज्य महेंद्रवर्मन और नरसिंहवर्मन के काल में चरमोत्कर्ष पर पहुँच सका।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके पल्लव पुनरुत्थान योगदान पर प्रश्न पूछे जाते हैं।

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