नरसिंहवर्मन प्रथम: वातापी विजेता और तटीय मंदिरों का संस्थापक | Narasimhavarman I History in Hindi

नरसिंहवर्मन प्रथम: पल्लव वंश का महान विजेता और महाबलीपुरम का निर्माता

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नरसिंहवर्मन प्रथम: परिचय

  • नरसिंहवर्मन प्रथम (630-668 ई.) पल्लव वंश का सर्वाधिक प्रतापी शासक था जिसने अपने पिता महेंद्रवर्मन प्रथम की पराजय का बदला लेते हुए चालुक्यों को धूल चटा दी।
  • उसने “महामल्ल” और “वातापीकोंड” (वातापी का विजेता) की उपाधियाँ धारण कीं।

प्रारंभिक जीवन और सत्ता प्राप्ति

  • वंश: पल्लव वंश
  • पिता: महेंद्रवर्मन प्रथम
  • सत्ता प्राप्ति: 630 ई. में
  • राजधानी: कांचीपुरम
  • शासनकाल: 630-668 ई. (38 वर्ष)

शासनकाल की प्रमुख उपलब्धियाँ

सैन्य विजयें:-

चालुक्यों पर विजय

  • 642 ई. में चालुक्य राजधानी वातापी (बादामी) पर विजय
  • चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय को मार गिराया
  • “वातापीकोंड” की उपाधि धारण की

अन्य विजयें

  • चोल, पांड्य और केरल राज्यों को पराजित किया
  • श्रीलंका के साथ सैन्य संघर्ष

स्थापत्य एवं कला

  • महाबलीपुरम का विकास
  • तटीय मंदिरों का निर्माण
  • पंचरथ मंदिर समूह
  • अर्जुन की तपस्या” विशाल चट्टान उत्कीर्णन
  • कांचीपुरम में कैलाशनाथ मंदिर की नींव रखी

नौसैनिक शक्ति

  • भारत के प्रथम समुद्री शक्ति संपन्न शासकों में से एक
  • नौसेना का विस्तार और संगठन
  • व्यापार मार्गों की सुरक्षा

ऐतिहासिक स्रोत

  • कुर्मेयूर ताम्रपत्र
  • काशाक्कुडि ताम्रपत्र
  • चीनी यात्री ह्वेनसांग का विवरण

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

  • शासनकाल:⇒ 630-668 ई.
  • राजधानी:⇒ कांचीपुरम
  • प्रमुख युद्ध:⇒ वातापी विजय (642 ई.)
  • विशेष योगदान:⇒ महाबलीपुरम का विकास

नरसिंहवर्मन प्रथम का ऐतिहासिक महत्व

  • दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला को नई दिशा दी
  • पल्लव साम्राज्य को चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया
  • भारतीय नौसैनिक परंपरा को बल दिया

निष्कर्ष

  • नरसिंहवर्मन प्रथम ने पल्लव वंश को दक्षिण भारत की सर्वोच्च शक्ति बना दिया।
  • उसके सैन्य कौशल और कला प्रेम ने भारतीय इतिहास में उसे विशिष्ट स्थान दिलाया।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसकी वातापी विजय और स्थापत्य योगदान पर प्रश्न पूछे जाते हैं।

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