अजातशत्रु: मगध का महत्वाकांक्षी शासक और बुद्ध का समकालीन
जन्म | 5वीं शताब्दी ई.पू. (अनुमानित) |
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पिता | बिम्बिसार |
माता | कोसल देवी/चेल्लना |
सत्ता प्राप्ति | 491 ई.पू. में पिता की हत्या कर |
कार्यकाल | 30 वर्ष (491ई.पू. से-461 ई.पू. तक) |
मृत्यु | 461 ई.पू. |
अजातशत्रु: परिचय
- अजातशत्रु (491-461 ई.पू.) हर्यक वंश का दूसरा प्रमुख शासक था जिसने मगध साम्राज्य को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
- वह बिम्बिसार का पुत्र और महात्मा बुद्ध का समकालीन था।
- अपने पिता की हत्या कर सत्ता प्राप्त करने के बाद उसने मगध को भारत का सर्वशक्तिशाली साम्राज्य बना दिया।
शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ
साम्राज्य विस्तार
कोशल युद्ध:
- अपनी माता कोसल देवी की मृत्यु के बाद काशी पर अधिकार
- कोशल नरेश प्रसेनजित के साथ संघर्ष
वैशाली विजय:
- लिच्छवियों के विरुद्ध 16 वर्ष तक युद्ध
- महाशिलाकंटक (आधुनिक तोप) का प्रयोग
- मंत्री वर्षकार की सहायता से विजय
बौद्ध धर्म से संबंध
- प्रारंभ में जैन धर्म का अनुयायी
- बाद में बौद्ध धर्म अपनाया
- बुद्ध के अवशेषों पर स्तूप निर्माण
प्रथम बौद्ध संगीति:
- प्रथम बौद्ध संगीति (483 ई.पू.) का आयोजन
प्रशासनिक सुधार
सैन्य सुधार:
- नए अस्त्र-शस्त्रों का विकास
- रथमूसल (युद्ध रथ) का प्रयोग
राजधानी:
- राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित की
मृत्यु और उत्तराधिकार
- मृत्यु: 461 ई.पू. (अपने पुत्र उदयिन द्वारा हत्या)
- उत्तराधिकारी: उदयिन (उदयभद्र)
- शासनकाल: 30 वर्ष
अजातशत्रु का ऐतिहासिक महत्व
- मगध साम्राज्य को अखिल भारतीय शक्ति बनाया
- प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन करवाया
- नगर प्रशासन को सुदृढ़ बनाया
- युद्ध तकनीक में नवाचार किए
ऐतिहासिक स्रोत
- बौद्ध ग्रंथ: दीघ निकाय, महापरिनिब्बान सुत्त
- जैन ग्रंथ: भगवती सूत्र
- पुराणों में उल्लेख
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
शासनकाल:
- 491-461 ई.पू.
राजधानी:
- प्रारंभ में राजगृह, बाद में पाटलिपुत्र
समकालीन:
- महावीर और बुद्ध
विशेष उपलब्धि:
- मगध को सर्वशक्तिशाली साम्राज्य बनाया
निष्कर्ष
- अजातशत्रु ने अपने शासनकाल में मगध साम्राज्य को भारत की सर्वोच्च शक्ति बना दिया।
- हालाँकि उसका प्रारंभिक जीवन विवादों से घिरा रहा, परन्तु बाद में उसने एक कुशल शासक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
- प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके सैन्य अभियानों और धार्मिक नीतियों पर प्रश्न पूछे जाते हैं।