15 June 2025
अजातशत्रु

अजातशत्रु का इतिहास: मगध साम्राज्य का विस्तार और बौद्ध धर्म | Ajatashatru History in Hindi

अजातशत्रु: मगध का महत्वाकांक्षी शासक और बुद्ध का समकालीन

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अजातशत्रु

जन्म 5वीं शताब्दी ई.पू. (अनुमानित)
पिता बिम्बिसार
माता कोसल देवी/चेल्लना
सत्ता प्राप्ति 491 ई.पू. में पिता की हत्या कर
कार्यकाल 30 वर्ष (491ई.पू. से-461 ई.पू. तक)
मृत्यु 461 ई.पू.

अजातशत्रु: परिचय

  • अजातशत्रु (491-461 ई.पू.) हर्यक वंश का दूसरा प्रमुख शासक था जिसने मगध साम्राज्य को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
  • वह बिम्बिसार का पुत्र और महात्मा बुद्ध का समकालीन था।
  • अपने पिता की हत्या कर सत्ता प्राप्त करने के बाद उसने मगध को भारत का सर्वशक्तिशाली साम्राज्य बना दिया।

शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ

साम्राज्य विस्तार

कोशल युद्ध:

  • अपनी माता कोसल देवी की मृत्यु के बाद काशी पर अधिकार
  • कोशल नरेश प्रसेनजित के साथ संघर्ष

वैशाली विजय:

  • लिच्छवियों के विरुद्ध 16 वर्ष तक युद्ध
  • महाशिलाकंटक (आधुनिक तोप) का प्रयोग
  • मंत्री वर्षकार की सहायता से विजय

बौद्ध धर्म से संबंध

  • प्रारंभ में जैन धर्म का अनुयायी
  • बाद में बौद्ध धर्म अपनाया
  • बुद्ध के अवशेषों पर स्तूप निर्माण

प्रथम बौद्ध संगीति:

  • प्रथम बौद्ध संगीति (483 ई.पू.) का आयोजन

प्रशासनिक सुधार

सैन्य सुधार:

  • नए अस्त्र-शस्त्रों का विकास
  • रथमूसल (युद्ध रथ) का प्रयोग

राजधानी:

  • राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित की

मृत्यु और उत्तराधिकार

  • मृत्यु: 461 ई.पू. (अपने पुत्र उदयिन द्वारा हत्या)
  • उत्तराधिकारी: उदयिन (उदयभद्र)
  • शासनकाल: 30 वर्ष

अजातशत्रु का ऐतिहासिक महत्व

  • मगध साम्राज्य को अखिल भारतीय शक्ति बनाया
  • प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन करवाया
  • नगर प्रशासन को सुदृढ़ बनाया
  • युद्ध तकनीक में नवाचार किए

ऐतिहासिक स्रोत

  • बौद्ध ग्रंथ: दीघ निकाय, महापरिनिब्बान सुत्त
  • जैन ग्रंथ: भगवती सूत्र
  • पुराणों में उल्लेख

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

शासनकाल:

  • 491-461 ई.पू.

राजधानी:

  • प्रारंभ में राजगृह, बाद में पाटलिपुत्र

समकालीन:

  • महावीर और बुद्ध

विशेष उपलब्धि:

  • मगध को सर्वशक्तिशाली साम्राज्य बनाया

निष्कर्ष

  • अजातशत्रु ने अपने शासनकाल में मगध साम्राज्य को भारत की सर्वोच्च शक्ति बना दिया।
  • हालाँकि उसका प्रारंभिक जीवन विवादों से घिरा रहा, परन्तु बाद में उसने एक कुशल शासक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके सैन्य अभियानों और धार्मिक नीतियों पर प्रश्न पूछे जाते हैं।

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