बिम्बिसार: मगध साम्राज्य के संस्थापक और बुद्ध के समकालीन
जन्म | 558 ई.पू. (अनुमानित) |
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वंश | हर्यक वंश |
पिता | भट्टिय (बोधि) |
सत्ता प्राप्ति | 543 ई.पू. में (15 वर्ष की आयु में) |
राज्याभिषेक | राजगृह में |
पुत्र | अजातशत्रु (उत्तराधिकारी) |
शासनकाल | 543 ई.पू. से 491 ई.पू. तक |
मृत्यु | 491 ई.पू. मेंअजातशत्रु द्वारा कारागार में हत्या |
बिम्बिसार: परिचय
- बिम्बिसार (543-491 ई.पू.) प्राचीन भारत के मगध साम्राज्य का प्रथम शक्तिशाली शासक था।
- हर्यक वंश से संबंधित बिम्बिसार ने राजगृह (वर्तमान राजगीर) को अपनी राजधानी बनाया और मगध को एक शक्तिशाली साम्राज्य के रूप में स्थापित किया।
- वह महात्मा बुद्ध का समकालीन और संरक्षक था।
साम्राज्य विस्तार
- वैवाहिक गठबंधन नीति
- सैन्य विजय
- बौद्ध धर्म से संबंध
वैवाहिक गठबंधन नीति
- कोशल नरेश की पुत्री महाकोशला से विवाह (काशी दहेज में मिला)
- लिच्छवि राजकुमारी चेल्लना से विवाह
- मद्र देश की राजकुमारी क्षेमा से विवाह
सैन्य विजय
- अंग राज्य पर विजय (चम्पा पर अधिकार)
- वैशाली के निकट क्षेत्रों पर नियंत्रण
बौद्ध धर्म से संबंध
- गौतम बुद्ध का मित्र और संरक्षक
- बुद्ध को राजगृह में वेणुवन उद्यान दान दिया
- बौद्ध संघ को राजकीय संरक्षण
प्रशासनिक सुधार
- प्रशासनिक व्यवस्था
- सुसंगठित मंत्रिपरिषद
- ग्राम प्रशासन को सुदृढ़ बनाया
आर्थिक सुधार
- व्यापार मार्गों का विकास
- कृषि उत्पादन में वृद्धि
राजगृह की स्थापना
- पाँच पहाड़ियों से घिरे स्थान पर निर्मित
- प्राकृतिक सुरक्षा व्यवस्था
- जलापूर्ति के लिए कृत्रिम झीलों का निर्माण
पारिवारिक जीवन और मृत्यु
- पुत्र:⇒ अजातशत्रु (उत्तराधिकारी)
- मृत्यु:⇒ 491 ई.पू. (अजातशत्रु द्वारा कारागार में हत्या)
- शासनकाल:⇒ 52 वर्ष (दीर्घकालीन शासन)
ऐतिहासिक स्रोत
- बौद्ध ग्रंथ: महावंश, दीपवंश
- जैन ग्रंथ: भगवती सूत्र
- यूनानी लेखकों के विवरण
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
- शासनकाल:⇒ 543-491 ई.पू.
- राजधानी:⇒ राजगृह (गिरिव्रज)
- समकालीन:⇒ महावीर (599-527 ई.पू.) और बुद्ध (563-483 ई.पू.)
- विशेषता:⇒ वैवाहिक गठबंधनों द्वारा साम्राज्य विस्तार
बिम्बिसार का ऐतिहासिक महत्व
- मगध को प्रथम महान साम्राज्य बनाया
- प्रशासनिक व्यवस्था को सुसंगठित किया
- बौद्ध धर्म के प्रारंभिक संरक्षक
- भारतीय राजनीति में वैवाहिक गठबंधन नीति का प्रारंभ
निष्कर्ष
- बिम्बिसार ने अपने दीर्घ शासनकाल में मगध साम्राज्य को अखिल भारतीय शक्ति के रूप में स्थापित किया।
- इसकी नीतियाँ और प्रशासनिक सुधार बाद के शासकों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हुए।
- प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके शासनकाल और बौद्ध धर्म से संबंध पर प्रश्न पूछे जाते हैं।