- सम्राट अशोक: महान मौर्य शासक और धम्म प्रचारक
जन्म | 304 ई.पू. |
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पिता | बिंदुसार |
माता | सुभद्रांगी (शुभद्रांगी) |
उपनाम | “देवानांप्रिय” (देवताओं का प्रिय) और “प्रियदर्शी” |
सत्ता प्राप्ति | 269 ई.पू. में (4 वर्ष के संघर्ष के बाद) |
मृत्यु | 232 ई.पू. |
सम्राट अशोक: परिचय
- सम्राट अशोक (269-232 ई.पू.) मौर्य वंश का तीसरा और सबसे महान शासक था।
- उसका शासनकाल भारतीय इतिहास में स्वर्णिम युग माना जाता है।
- कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाकर उसने “धम्म” के सिद्धांतों पर आधारित शासन व्यवस्था स्थापित की।
शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ
कलिंग युद्ध (261 ई.पू.)
स्थान:
- वर्तमान ओडिशा
परिणाम:
- 1 लाख से अधिक लोग मारे गए
- 1.5 लाख लोग बंदी बनाए गए
अशोक का हृदय परिवर्तन
- महत्व: युद्ध नीति का त्याग और बौद्ध धर्म अपनाया
बौद्ध धर्म का प्रचार
- तीसरी बौद्ध संगीति (250 ई.पू.) का आयोजन
- अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म प्रचार हेतु श्रीलंका भेजा
- “धम्म” की नीति अपनाई
प्रशासनिक सुधार
- “धम्म महामात्र” नियुक्त किए
- जनकल्याणकारी योजनाएँ
- औषधालयों की स्थापना
- सड़कों और धर्मशालाओं का निर्माण
- पशु चिकित्सालय खोले
अशोक के शिलालेख
- अशोक ने अपने संदेशों को पत्थरों और स्तंभों पर उत्कीर्ण करवाया:
प्रमुख शिलालेख
- प्रमुख शिलालेख (14)
- लघु शिलालेख
- स्तंभ लेख (7)
- गुफा लेख
भाषा:
- ब्राह्मी लिपि (उत्तर भारत)
- खरोष्ठी लिपि (उत्तर-पश्चिम)
- आरमाइक और ग्रीक (अफगानिस्तान क्षेत्र)
साम्राज्य विस्तार
- उत्तर में हिमालय से दक्षिण में कर्नाटक तक
- पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफगानिस्तान तक
- केवल तमिल क्षेत्र (चोल, पांड्य, चेर) शामिल नहीं
मृत्यु और विरासत
- मृत्यु:⇒ 232 ई.पू.
- उत्तराधिकारी:⇒ कुणाल
- योगदान:⇒ बौद्ध धर्म का विश्वव्यापी प्रसार
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
- शासनकाल:⇒ 269-232 ई.पू.
- राजधानी:⇒ पाटलिपुत्र
- प्रसिद्ध स्तंभ:⇒ सारनाथ स्तंभ (राष्ट्रीय चिह्न)
- मौर्य साम्राज्य का विस्तार:⇒ 50 लाख वर्ग किमी
निष्कर्ष
- सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद “शस्त्र” के स्थान पर “धम्म” की नीति अपनाई।
- उसके शिलालेख भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
- प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके शासनकाल, शिलालेखों और बौद्ध धर्म के प्रसार पर प्रश्न पूछे जाते हैं।