27 July 2025
सम्राट अशोक

सम्राट अशोक: जीवन, कलिंग युद्ध और बौद्ध धर्म का प्रसार | Samrat Ashok History in Hindi

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  • सम्राट अशोक: महान मौर्य शासक और धम्म प्रचारक

सम्राट अशोक

जन्म 304 ई.पू.
पिता बिंदुसार
माता सुभद्रांगी (शुभद्रांगी)
उपनाम “देवानांप्रिय” (देवताओं का प्रिय) और “प्रियदर्शी”
सत्ता प्राप्ति 269 ई.पू. में (4 वर्ष के संघर्ष के बाद)
मृत्यु 232 ई.पू.

सम्राट अशोक: परिचय

  • सम्राट अशोक (269-232 ई.पू.) मौर्य वंश का तीसरा और सबसे महान शासक था।
  • उसका शासनकाल भारतीय इतिहास में स्वर्णिम युग माना जाता है।
  • कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाकर उसने “धम्म” के सिद्धांतों पर आधारित शासन व्यवस्था स्थापित की।

शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ

कलिंग युद्ध (261 ई.पू.)

स्थान:

  • वर्तमान ओडिशा

परिणाम:

  • 1 लाख से अधिक लोग मारे गए
  • 1.5 लाख लोग बंदी बनाए गए

अशोक का हृदय परिवर्तन

  • महत्व: युद्ध नीति का त्याग और बौद्ध धर्म अपनाया

बौद्ध धर्म का प्रचार

  • तीसरी बौद्ध संगीति (250 ई.पू.) का आयोजन
  • अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म प्रचार हेतु श्रीलंका भेजा
  • “धम्म” की नीति अपनाई

प्रशासनिक सुधार

  • “धम्म महामात्र” नियुक्त किए
  • जनकल्याणकारी योजनाएँ
  • औषधालयों की स्थापना
  • सड़कों और धर्मशालाओं का निर्माण
  • पशु चिकित्सालय खोले

अशोक के शिलालेख

  • अशोक ने अपने संदेशों को पत्थरों और स्तंभों पर उत्कीर्ण करवाया:

प्रमुख शिलालेख

  • प्रमुख शिलालेख (14)
  • लघु शिलालेख
  • स्तंभ लेख (7)
  • गुफा लेख

भाषा:

  • ब्राह्मी लिपि (उत्तर भारत)
  • खरोष्ठी लिपि (उत्तर-पश्चिम)
  • आरमाइक और ग्रीक (अफगानिस्तान क्षेत्र)

साम्राज्य विस्तार

  • उत्तर में हिमालय से दक्षिण में कर्नाटक तक
  • पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफगानिस्तान तक
  • केवल तमिल क्षेत्र (चोल, पांड्य, चेर) शामिल नहीं

मृत्यु और विरासत

  • मृत्यु:⇒ 232 ई.पू.
  • उत्तराधिकारी:⇒ कुणाल
  • योगदान:⇒ बौद्ध धर्म का विश्वव्यापी प्रसार

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

  • शासनकाल:⇒ 269-232 ई.पू.
  • राजधानी:⇒ पाटलिपुत्र
  • प्रसिद्ध स्तंभ:⇒ सारनाथ स्तंभ (राष्ट्रीय चिह्न)
  • मौर्य साम्राज्य का विस्तार:⇒ 50 लाख वर्ग किमी

निष्कर्ष

  • सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद “शस्त्र” के स्थान पर “धम्म” की नीति अपनाई।
  • उसके शिलालेख भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके शासनकाल, शिलालेखों और बौद्ध धर्म के प्रसार पर प्रश्न पूछे जाते हैं।

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