30 June 2025
देवभूति

देवभूति का इतिहास: शुंग वंश के पतन की कहानी | Devabhuti Shunga History in Hindi

देवभूति: शुंग वंश का अंतिम शासक और अमात्य वररुचि की साजिश

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देवभूति: परिचय

  • देवभूति (83-73 ई.पू.) शुंग वंश का नौवाँ और अंतिम शासक था।
  • उसके शासनकाल में शुंग वंश का पतन हुआ और कण्व वंश की स्थापना हुई।
  • देवभूति को एक विलासी और अयोग्य शासक माना जाता है जिसके कारण शुंग साम्राज्य समाप्त हो गया।

प्रारंभिक जीवन और सत्ता प्राप्ति

  • वंश:⇒ शुंग वंश
  • पूर्ववर्ती:⇒ भागभद्र
  • सत्ता प्राप्ति:⇒ 83 ई.पू. में
  • शासनकाल:⇒ 83-73 ई.पू. (10 वर्ष)

शासनकाल की प्रमुख विशेषताएं

दुर्बल शासन व्यवस्था

  • केन्द्रीय शक्ति का ह्रास
  • प्रशासनिक अक्षमता
  • मंत्रियों का बढ़ता प्रभाव

विलासितापूर्ण जीवन

  • अत्यधिक भोग-विलास में डूबे रहना
  • राजकाज में उदासीनता
  • नर्तकियों और दासियों के प्रति अत्यधिक आसक्ति

सैन्य एवं आर्थिक स्थिति

  • सैन्य अनुशासन का पतन
  • राजकोष की दुर्दशा
  • व्यापार मार्गों की उपेक्षा

देवभूति की हत्या और शुंग वंश का अंत

  • वर्ष:⇒ 73 ई.पू.
  • हत्यारा:⇒ मंत्री वसुदेव कण्व
  • तरीका:⇒ एक नर्तकी के माध्यम से साजिश
  • परिणाम:⇒ कण्व वंश की स्थापना

शुंग वंश के पतन के कारण

  • अयोग्य उत्तराधिकारी
  • प्रशासनिक भ्रष्टाचार
  • सैन्य शक्ति का क्षय
  • मंत्रियों का बढ़ता प्रभाव
  • आर्थिक संकट

ऐतिहासिक स्रोत

  • पुराणों में उल्लेख (वायु पुराण, मत्स्य पुराण)
  • बाणभट्ट का हर्षचरित
  • कल्हण की राजतरंगिणी

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

  • शासनकाल:⇒ 83-73 ई.पू.
  • राजधानी:⇒ विदिशा
  • उत्तराधिकारी:⇒ वसुदेव कण्व (कण्व वंश)
  • ऐतिहासिक महत्व:⇒ शुंग वंश का अंत

देवभूति का ऐतिहासिक महत्व

  • शुंग वंश के पतन का प्रतीक
  • प्राचीन भारत में राजवंश परिवर्तन का उदाहरण
  • मंत्रियों के बढ़ते प्रभाव का केस स्टडी

निष्कर्ष

  • देवभूति का शासनकाल शुंग वंश के पतन और कण्व वंश के उदय का संक्रमण काल था।
  • उसकी हत्या ने न केवल शुंग वंश का अंत किया बल्कि भारतीय इतिहास में एक नए राजवंश की नींव रखी।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर शुंग वंश के पतन के कारणों पर प्रश्न पूछे जाते हैं।

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