यण संधि: परिभाषा, नियम और उदाहरण – हिंदी व्याकरण का संपूर्ण ज्ञान
- यण संधि हिंदी व्याकरण में स्वर संधि का चौथा प्रकार है जो प्रतियोगी परीक्षाओं (UPSSSC, UPP, UPTET, REET, राज्य PSCs, शिक्षक भर्ती) में अक्सर पूछा जाता है।
- जब इ/ई, उ/ऊ या ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है, तो इनका मेल य, व, र् में बदल जाता है।
- आइए, इसके नियमों और उदाहरणों को विस्तार से समझें।
यण संधि की परिभाषा
- यण संधि में जब इ/ई, उ/ऊ या ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर (अ, आ, इ, उ, ऋ आदि) आता है, तो वे क्रमशः य, व, र् में परिवर्तित हो जाते हैं।
- यह परिवर्तन संस्कृत और हिंदी दोनों में समान रूप से लागू होता है।
- “यण” शब्द य, व, र् तीनों वर्णों को सम्मिलित करता है।
यण संधि के मुख्य नियम और उदाहरण
1. इ/ई + भिन्न स्वर = य
- जब इ या ई के बाद कोई भिन्न स्वर आए, तो इ/ई का य में परिवर्तन होता है।
उदाहरण:
- इति + आदि = इत्यादि
- नदी + अर्पण = नद्यर्पण
- प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष
2. उ/ऊ + भिन्न स्वर = व
- जब उ या ऊ के बाद कोई भिन्न स्वर आए, तो उ/ऊ का व में परिवर्तन होता है।
उदाहरण:
- अनु + अय = अन्वय
- वधू + आगमन = वध्वागमन
3. ऋ + भिन्न स्वर = र्
- जब ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आए, तो ऋ का र् में परिवर्तन होता है।
उदाहरण:
- पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
- मातृ + अंक = मात्रंक
- ऋ + अर्थ = रर्थ
संधि शब्द | संधि रूप | नियम |
---|---|---|
इति + आदि | इत्यादि | ई + आ = या |
अनु + अय | अन्वय | उ + अ = व |
पितृ + आज्ञा | पित्राज्ञा | ऋ + आ = र |
प्रति + एक | प्रत्येक | इ + ए = ये |
पैरामीटर | यण संधि | गुण संधि |
---|---|---|
स्वरों का मेल | इ/ई/उ/ऊ/ऋ + भिन्न स्वर | अ/आ + इ/ई/उ/ऊ/ऋ |
परिणाम | य, व, र् | ए, ओ, अर् |
उदाहरण | प्रत्यक्ष (प्रति + अक्ष) | महेश (महा + ईश) |
परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रमुख बिंदु
1. विसर्ग संधि के साथ यण संधि:
विसर्ग (:) के बाद स्वर आने पर यण संधि हो सकती है:
निः + आश = निराश (नि: + आश = निराश)
2. अपवाद स्थितियाँ:
कुछ शब्दों में यण संधि नहीं होती:
गिरि + आलय = गिरिआलय (संधि नहीं)
भानु + उदय = भानूदय (दीर्घ संधि)
3. संधि विच्छेद:
- इत्यादि = इति + आदि
- पित्राज्ञा = पितृ + आज्ञा
पिछले वर्षों के प्रश्न (Previous Year Questions)
प्रश्न ‘प्रति + अक्ष’ का संधि रूप क्या होगा?
(UPTET)
(a) प्रत्यक्ष
(b) प्रतिक्ष
(c) प्रतिअक्ष
(d) प्रतीक्ष
उत्तर (a) प्रत्यक्ष
प्रश्न ‘अनु + अय’ का संधियुक्त रूप क्या है?
(CTET)
(a) अन्वय
(b) अनुअय
(c) अनूय
(d) अन्वाय
उत्तर (a) अन्वय
प्रश्न किस विकल्प में यण संधि है?
(MPPSC)
(a) विद्यालय
(b) चंद्रोदय
(c) प्रत्येक
(d) सत्याग्रह
उत्तर (c) प्रत्येक
प्रश्न ‘पितृ + आज्ञा’ का संधि रूप क्या है?
(UP Police)
(a) पित्राज्ञा
(b) पितराज्ञा
(c) पित्रज्ञा
(d) पितृज्ञा
उत्तर (a) पित्राज्ञा
प्रश्न ‘नदी + अर्पण’ में कौन-सी संधि है?
(SSC CHSL)
(a) यण संधि
(b) गुण संधि
(c) वृद्धि संधि
(d) दीर्घ संधि
उत्तर (a) यण संधि
परीक्षा तैयारी के लिए टिप्स
नियमों को कंठस्थ करें:
- इ/ई → य
- उ/ऊ → व
- ऋ → र्
सामान्य उदाहरण याद रखें:
- प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष
- अनु + अय = अन्वय
- पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
संधि विच्छेद का अभ्यास करें:
- नद्यर्पण = नदी + अर्पण
- वध्वागमन = वधू + आगमन
अपवादों पर ध्यान दें:
- गिरिआलय (गिरि + आलय) में संधि नहीं होती।
संधि रूप | संधि विच्छेद | नियम |
---|---|---|
यद्यपि | यदि + अपि | इ + अ =य |
इत्यादि | इति + आदि | इ + आ = या |
अन्वय | अनु + अय | उ + अ = व |
पित्राज्ञा | पितृ + आज्ञा | ऋ + आ = र |
निराश | निः + आश | ई + आ = य (विसर्ग के साथ) |
निष्कर्ष
- यह संधि हिंदी व्याकरण का अत्यंत व्यावहारिक टॉपिक है जो प्रतियोगी परीक्षाओं में निश्चित रूप से पूछा जाता है।
- इसके नियम सरल हैं, लेकिन विभिन्न उदाहरणों का अभ्यास आवश्यक है।
- य, व, र् के परिवर्तनों को समझकर और संधि विच्छेद का निरंतर अभ्यास करके आप इस खंड में पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- पिछले वर्षों के प्रश्नों का समावेश आपको परीक्षा पैटर्न समझने में मदद करेगा।