नागभट्ट प्रथम: प्रतिहार वंश के संस्थापक और अरब आक्रमणों के प्रतिरोधक
वंश | गुर्जर प्रतिहार वंश |
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सत्ता प्राप्ति | 730 ई. में |
राजधानी | मंदसौर (मालवा) |
शासनकाल | 26 वर्ष (730ई. से 756 ई.तक) |
प्रतिहार वंश का संस्थापक | नागभट्ट प्रथम |
प्रमुख युद्ध | अरबों के विरुद्ध (738 ई.) |
नागभट्ट प्रथम: परिचय
- नागभट्ट प्रथम (730-756 ई.) प्रतिहार वंश का संस्थापक था जिसने मध्यकालीन भारत में उत्तर भारत की राजनीति को नई दिशा दी।
- उसने अरब आक्रमणकारियों को पराजित कर हिंदू शक्ति को पुनर्जीवित किया और मालवा क्षेत्र में अपना साम्राज्य स्थापित किया।
शासनकाल की प्रमुख उपलब्धियाँ
- अरब आक्रमणकारियों को पराजित किया
- 738 ई. में अरब सेनापति जुनैद को पराजित किया
- सिंध और राजस्थान क्षेत्र से अरबों को खदेड़ा
- हिंदू धर्म की रक्षा की
साम्राज्य विस्तार
- मालवा पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित किया
- गुजरात और राजस्थान के कुछ भागों पर अधिकार
- कन्नौज की ओर विस्तार की नींव रखी
प्रशासनिक सुधार
- सुव्यवस्थित सैन्य संगठन
- कृषि और व्यापार को प्रोत्साहन
- मंदिरों और ब्राह्मणों को दान
ऐतिहासिक स्रोत
- ग्वालियर प्रशस्ति
- जोधपुर प्रशस्ति
- अरब यात्री अल-बिलादुरी के विवरण
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
- शासनकाल:⇒ 730-756 ई.
- राजधानी:⇒ मंदसौर
- प्रमुख युद्ध:⇒ अरबों के विरुद्ध (738 ई.)
- विशेष योगदान:⇒ अरब आक्रमण रोकना
नागभट्ट प्रथम का ऐतिहासिक महत्व
- उत्तर भारत में हिंदू शक्ति का पुनरुत्थान
- अरब विस्तारवाद को रोकने वाला प्रथम भारतीय शासक
- प्रतिहार वंश की नींव रखना
निष्कर्ष
- नागभट्ट प्रथम ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया।
- उसके सैन्य कौशल और प्रशासनिक योग्यता ने प्रतिहार वंश को एक शक्तिशाली साम्राज्य के रूप में स्थापित किया।
- प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके अरब विरोधी अभियानों पर प्रश्न पूछे जाते हैं।