15 June 2025
महेंद्रवर्मन प्रथम

महेंद्रवर्मन प्रथम: पल्लव वंश का प्रतापी शासक | Mahendravarman I History in Hindi

महेंद्रवर्मन प्रथम: पल्लव वंश का महान शासक और कला संरक्षक

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महेंद्रवर्मन प्रथम

वंश पल्लव वंश
पिता सिंहविष्णु
राजधानी कांचीपुरम
सत्ता प्राप्ति 600 ई. में
शासनकाल 30 वर्ष (600ई.से 630 ई.तक)
अभिलेख चालुक्य अभिलेख

महेंद्रवर्मन प्रथम: परिचय

  • महेंद्रवर्मन प्रथम (600-630 ई.) पल्लव वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जिसने कांचीपुरम को अपनी राजधानी बनाकर दक्षिण भारत में एक सशक्त साम्राज्य स्थापित किया।
  • वह एक कुशल शासक, कवि और कला संरक्षक था।

शासनकाल की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • सैन्य अभियान
  • धार्मिक परिवर्तन
  • कला एवं स्थापत्य
  • साहित्यिक योगदान

सैन्य अभियान

  • चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय के साथ संघर्ष
  • वातापी (बादामी) पर आक्रमण
  • पांड्य और चोल राज्यों के साथ संबंध स्थापित किए

धार्मिक परिवर्तन

  • प्रारंभ में जैन धर्म का अनुयायी
  • संत अप्पार के प्रभाव से शैव धर्म अपनाया
  • “गुणभर” और “चित्तरक” जैसी उपाधियाँ धारण कीं

कला एवं स्थापत्य

  • गुफा मंदिरों का निर्माण
  • महेंद्रवादी शैली का प्रवर्तन
  • मामंदुर, महेंद्रवादी और दलवनूर के गुफा मंदिर

साहित्यिक योगदान

  • संस्कृत नाटक “मत्तविलास प्रहसन” की रचना
  • विचित्रचित्त” उपनाम से कविताएँ लिखीं

ऐतिहासिक स्रोत

  • महेंद्रवर्मन के ताम्रपत्र
  • नारसिंहवर्मन प्रथम के अभिलेख
  • चालुक्य अभिलेख

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

  • शासनकाल:⇒ 600-630 ई.
  • राजधानी:⇒ कांचीपुरम
  • प्रमुख युद्ध:⇒ चालुक्यों के विरुद्ध
  • विशेष योगदान:⇒ गुफा वास्तुकला का विकास

महेंद्रवर्मन प्रथम का ऐतिहासिक महत्व

  • द्रविड़ वास्तुकला के विकास में योगदान
  • संस्कृत साहित्य को संरक्षण
  • दक्षिण भारत में शैव भक्ति आंदोलन को बढ़ावा

निष्कर्ष

  • महेंद्रवर्मन प्रथम ने अपने शासनकाल में पल्लव साम्राज्य को सैन्य, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध किया।
  • इसका काल दक्षिण भारतीय कला के इतिहास में स्वर्ण युग माना जाता है।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके सांस्कृतिक योगदान पर प्रश्न पूछे जाते हैं।

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