29 July 2025
पुष्यमित्र शुंग

पुष्यमित्र शुंग: इतिहास, शासनकाल और धर्मान्तरण | Pushyamitra Shunga History in Hindi

पुष्यमित्र शुंग: मौर्य साम्राज्य का अंत और शुंग वंश की स्थापना

Home > इतिहास

पुष्यमित्र शुंग

जन्म अज्ञात
पद मौर्य सेना का प्रमुख सेनापति
सत्ता प्राप्ति 185 ई.पू. में बृहद्रथ की हत्या कर
राज्याभिषेक पाटलिपुत्र में
शासनकाल 36 वर्ष (185-149 ई.पू.)
मृत्यु 149 ई.पू.

पुष्यमित्र शुंग: परिचय

  • पुष्यमित्र शुंग प्राचीन भारत के शुंग वंश का संस्थापक था जिसने 185 ई.पू. में मौर्य साम्राज्य का अंत करके एक नए राजवंश की स्थापना की।
  • वह मौर्य सेना का सेनापति था जिसने बृहद्रथ की हत्या कर सत्ता हथिया ली।

शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ

  • साम्राज्य विस्तार
  • धार्मिक नीतियाँ
  • सांस्कृतिक योगदान
  • प्रशासनिक व्यवस्था
  • मृत्यु और उत्तराधिकार

साम्राज्य विस्तार

  • मध्य भारत तक शुंग साम्राज्य का विस्तार
  • विदर्भ क्षेत्र पर विजय
  • यूनानी आक्रमणकारियों का सामना

धार्मिक नीतियाँ

  • ब्राह्मण धर्म का संरक्षण
  • बौद्ध धर्म के प्रति विरोधी रवैया (विवादास्पद)
  • अश्वमेध यज्ञ का आयोजन

सांस्कृतिक योगदान

  • संस्कृत साहित्य को प्रोत्साहन
  • भरहुत स्तूप का निर्माण
  • वैदिक परम्पराओं को पुनर्जीवित करना

प्रशासनिक व्यवस्था

  • मौर्य प्रशासनिक ढाँचे को जारी रखा
  • प्रांतीय शासन को सुदृढ़ बनाया
  • सैन्य संगठन पर विशेष ध्यान

मृत्यु और उत्तराधिकार

  • मृत्यु:⇒ 149 ई.पू. (अनुमानित)
  • उत्तराधिकारी:⇒ अग्निमित्र
  • शासनकाल:⇒ 36 वर्ष (185-149 ई.पू.)

ऐतिहासिक स्रोत

  • पुराणों में उल्लेख
  • बौद्ध ग्रंथ दिव्यावदान
  • हर्षचरित (बाणभट्ट)

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

  • शासनकाल:⇒ 185-149 ई.पू.
  • राजधानी:⇒ पाटलिपुत्र (बाद में विदिशा)
  • प्रमुख उपलब्धि:⇒ मौर्य साम्राज्य का अंत
  • धार्मिक नीति:⇒ ब्राह्मण धर्म का पुनरुत्थान

विवादास्पद पहलू

  • बौद्ध विहारों को नष्ट करने का आरोप
  • बौद्ध स्रोतों द्वारा आलोचना
  • हिन्दू स्रोतों द्वारा प्रशंसा

निष्कर्ष

  • पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत में एक नए राजवंश की स्थापना की।
  • इनका शासनकाल धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काल था।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उनके शासनकाल और धार्मिक नीतियों पर प्रश्न पूछे जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!