सार्क (SAARC)
South Asian Association for Regional Cooperation (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ)
स्थापना | 8 दिसम्बर 1985 |
मुख्यालय | काठमांडू (नेपाल) |
कुल सदस्य देश | 8 |
सार्क (SAARC) का परिचय
- सार्क (SAARC) यानी South Asian Association for Regional Cooperation दक्षिण एशिया के 8 देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है।
- इसकी स्थापना 8 दिसंबर 1985 को ढाका (बांग्लादेश) में हुई थी।
- SAARC का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशियाई देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
SAARC के सदस्य देश
- इस संगठन में कुल आठ देश शामिल है
- भारत पाकिस्तान विवाद के कारण यह संगठन निष्क्रिय सा हो गया है
- भारत
- पाकिस्तान
- नेपाल
- बांग्लादेश
- श्रीलंका
- भूटान
- मालदीव
- अफगानिस्तान (2014 में शामिल हुआ)
इन सभी देशों की कुल आबादी लगभग 1.9 अरब है, जो दुनिया की आबादी का लगभग 24% है।
SAARC(सार्क) के मुख्य उद्देश्य
आर्थिक विकास
- सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना (जैसे SAFTA – South Asian Free Trade Area)
गरीबी उन्मूलन
- दक्षिण एशिया में गरीबी कम करने के लिए साझी योजनाएँ बनाना।
सामाजिक सहयोग
- शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर काम करना।
सांस्कृतिक आदान प्रदान
- दक्षिण एशिया की संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देना।
सुरक्षा सहयोग
- आतंकवाद, मानव तस्करी और ड्रग तस्करी जैसी समस्याओं से निपटना।
SAARC का महत्व
- यह संगठन दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देता है।
- SAFTA (साफ्टा) के माध्यम से सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित किया जाता है।
- भारत के लिए SAARC महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत करने का एक मंच प्रदान करता है।
SAARC की चुनौतियाँ
भारत-पाकिस्तान तनाव
- राजनीतिक मतभेदों के कारण SAARC की प्रगति धीमी है।
अपर्याप्त व्यापार
- SAFTA के बावजूद सदस्य देशों के बीच व्यापार कम है।
कमजोर संस्थागत ढाँचा
- SAARC के पास यूरोपीय संघ जैसी मजबूत संरचना नहीं है।
विशेषता | SAARC | BIMSTEC |
---|---|---|
स्थापना | 1985 | 1997 |
सदस्य देश | 8 | 7 |
फोकस क्षेत्र | राजनीतिक और सामाजिक सहयोग | आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग |
प्रभावशीलता | कम (पाकिस्तान के कारण) | अधिक |
SAARC शिखर सम्मेलन (Summit)
- SAARC सम्मेलन हर दो साल में आयोजित किया जाता है, लेकिन भारत-पाकिस्तान के तनाव के कारण 2014 के बाद कोई शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है।
- अब BIMSTEC जैसे वैकल्पिक संगठनों पर ज़ोर दिया जा रहा है।
निष्कर्ष
- SAARC दक्षिण एशिया में शांति और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण संगठन है, लेकिन राजनीतिक मतभेदों के कारण इसकी प्रगति रुकी हुई है। भविष्य में अगर सदस्य देश आपसी सहयोग बढ़ाते हैं, तो SAARC फिर से प्रभावी हो सकता है।