अन्योक्ति अलंकार: परिभाषा, प्रकार और उदाहरण | पूरी जानकारी
अन्योक्ति अलंकार क्या है?
- अन्योक्ति अलंकार हिंदी काव्य का एक अर्थालंकार है, जिसमें किसी वस्तु, प्राणी या प्राकृतिक घटना के माध्यम से मनुष्य को संदेश दिया जाता है।
- यह एक प्रकार का प्रतीकात्मक या व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम है, जिसमें सीधे कहने के बजाय इशारों में बात कही जाती है।
परिभाषा:
“जहाँ किसी निर्जीव वस्तु, पशु-पक्षी या प्रकृति के माध्यम से मनुष्य को कोई संदेश, शिक्षा या व्यंग्य किया जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।”
अन्योक्ति अलंकार के प्रकार
- प्रतीकात्मक अन्योक्ति
- व्यंग्यात्मक अन्योक्ति
प्रतीकात्मक अन्योक्ति
- जहाँ प्रकृति या वस्तुओं के माध्यम से गहरा संदेश दिया जाता है।
उदाहरण:
“कोयल काको संदेशा, कहि जात कुहुक-कुहुक”
(यहाँ कोयल के माध्यम से प्रेमी-प्रेमिका का संदेश दिया गया है।)
व्यंग्यात्मक अन्योक्ति
- जहाँ किसी वस्तु या जीव के माध्यम से मनुष्य की कमियों पर व्यंग्य किया जाता है।
उदाहरण:
“कागा काको धन हरै, कोयल काको देत।
मधुर वचन सुनाय के, जग अपनो कर लेत।”
(यहाँ कौए और कोयल के माध्यम से लोगों के स्वभाव पर व्यंग्य किया गया है।)
10+ उदाहरण सहित समझें
“बैठि रहीम संगत सुभ, कीरति बिगारि आप।
ज्यों कंचन संग सुवर्ण, गावति लोहु कलाप।।”
(सोने के संग रहने से लोहे का रंग भी बदल जाता है।)
“जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।।”
(मछली पानी के मोह में फंस जाती है।)
“कहि रहीम कैसे निभै, बिन साबण पानी।
बिनु हरि संग जगत के, यहै अकथ कहानी।।”
(बिना साबुन के पानी से कपड़ा नहीं धुलता, ठीक वैसे ही बिना ईश्वर के जीवन नहीं चलता।)
“धरती की रीत यही, ज्यों आवै त्यों जाय।
पर्वत ऊँचे होत हैं, बहत नदिया नाय।।”
(धरती का नियम यही है कि जो आता है, वह जाता है।)
“तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सच्ची दान।।”
(पेड़ अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना पानी नहीं पीते।)
अन्योक्ति अलंकार का महत्व
- प्रतीकात्मक भाषा का सुंदर उपयोग
- व्यंग्य और शिक्षा देने का सशक्त माध्यम
- काव्य को गहरा और प्रभावशाली बनाता है
- मनुष्य के स्वभाव और समाज पर टिप्पणी करता है
विशेषता | अन्योक्ति | उपमा |
---|---|---|
प्रकृति | प्रतीकात्मक संदेश | सीधी समानता |
उद्देश्य | शिक्षा या व्यंग्य | सौंदर्य वर्णन |
उदाहरण | कागा काको धन हरै | मुख चंद्रमा-सा सुंदर |
निष्कर्ष
- अन्योक्ति अलंकार हिंदी काव्य का एक गहन और प्रभावशाली अलंकार है, जो प्रतीकों और व्यंग्य के माध्यम से मनुष्य को जीवन की सीख देता है।
- यह कवियों द्वारा समाज और मानवीय स्वभाव पर टिप्पणी करने का सशक्त माध्यम है।