उत्प्रेक्षा अलंकार: परिभाषा, प्रकार और प्रभावी उदाहरण
उत्प्रेक्षा अलंकार क्या है?
- उत्प्रेक्षा अलंकार हिंदी काव्य का एक प्रमुख अर्थालंकार है, जिसमें किसी वस्तु या व्यक्ति के बारे में संदेह या कल्पना व्यक्त की जाती है।
- इसमें उपमेय को उपमान मान लिया जाता है, परंतु वास्तविकता नहीं होती।
उत्प्रेक्षा अलंकार परिभाषा:
“जहाँ उपमेय में उपमान का आभास हो, किंतु वास्तविक समानता न हो, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।”
उत्प्रेक्षा अलंकार के प्रमुख वाचक शब्द
- मनु (मानो)
- मनाक (जैसे)
- इव (मानो)
- जानो
- शायद
उत्प्रेक्षा अलंकार के प्रकार
- साधारण उत्प्रेक्षा
- विभावना उत्प्रेक्षा
- असंगत उत्प्रेक्षा
साधारण उत्प्रेक्षा
- जब वाक्य में सीधे संदेह या कल्पना व्यक्त की जाए।
उदाहरण:
“सखि सो सुंदर मुख मनु चंद्रमा है।”
विभावना उत्प्रेक्षा
- जब कारण के बिना ही कल्पना की जाए।
उदाहरण:
“प्यासे मृग की तृषा मनु, यह मोरनी आई है।”
असंगत उत्प्रेक्षा
- जहाँ उपमेय और उपमान में कोई तार्किक संबंध न हो।
उदाहरण:
“वह नाचती मनु बिजली है।”
उत्प्रेक्षा अलंकार अन्य उदाहरण
- वह हँसती मनु फूल खिला है।
- बादल गरजे मनु सिंह दहाड़े।
- नदी बहती मनु सर्पिनी लगे।
- वह दौड़ता मनु हवा है।
- उसकी आँखें मनु तारे चमकते हैं।
- पेड़ झूमे मनु नाचते बालक।
- बच्चे खेलते मनु तितलियाँ उड़ें।
- वर्षा की बूँदें मनु मोती बरसें।
- उसका गाना मनु कोयल सा लगता है।
- पर्वत खड़ा मनु दानव लगता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार का महत्व
- यह काव्य को कल्पनाशील बनाता है
- यह भावों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है
- यह पाठक के मन में जिज्ञासा उत्पन्न करता है
- यह कविता को रोचक और सजीव बनाता है
विशेषता | उत्प्रेक्षा | उपमा |
---|---|---|
प्रकृति | संदेह/कल्पना | सीधी समानता |
वाचक शब्द | मनु, मनाक, इव | सा, सम, सी |
उदाहरण | मुख मनु चाँद है | मुख चाँद-सा है |
निष्कर्ष
- उत्प्रेक्षा अलंकार यह अर्थालंकार है
- उत्प्रेक्षा अलंकार हिंदी काव्य का एक सशक्त अलंकार है जो कल्पना के माध्यम से कविता को प्रभावशाली बनाता है।
- यह पाठक को सोचने पर मजबूर करता है और काव्य को अधिक रोचक बनाता है।