24 April 2025
अलंकार

सभी अलंकार और उसके प्रकार

अलंकार :-

  • काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को अलंकार कहते है

अलंकार के भेद :-

  1. शब्दालंकार
  2. अर्थालंकार
  3. उभयालंकार

1. शब्दा अलंकार:-

  • जिस अलंकार में शब्दों का  प्रयोग करने से चमत्कार उत्पन्न होता है उसे शब्दा अलंकार कहा जाता है

शब्दालंकार के भेद :-

  1. अनुप्रास अलंकार
  2. यमक अलंकार
  3. श्लेष अलंकार
  4. वक्रोक्ति अलंकार
  5. पुनरुक्ति अलंकार
  6. विप्सा अलंकार

 

1.1.अनुप्रास अलंकार:-

  • अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है
  • अनु + प्रास
  • अनु का अर्थ बार-बार होता है
  • प्रास का अर्थ वर्ण होता है

अनुप्रास अलंकार परिभाषा

  • जब किसी वर्ण की बार–बार आवर्ती हो तब जो चमत्कार होता है उसे अनुप्रास अलंकार कहते है।
जैसे :-

“जन रंजन मंजन दनुज मनुज रूप सुर भूप।
विश्व बदर इव धृत उदर जोवत सोवत सूप।।”

अनुप्रास के भेद :-

  1. छेकानुप्रास अलंकार
  2. वृत्यानुप्रास अलंकार
  3. लाटानुप्रास अलंकार
  4. अन्त्यानुप्रास अलंकार
  5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार

 

1. 1.1 छेकानुप्रास अलंकार:-

  • जहाँ पर स्वरुप और क्रम से अनेक व्यंजनों की आवृति एक बार हो वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे :-

“रीझि रीझि रहसि रहसि हँसि हँसि उठै।
साँसैं भरि आँसू भरि कहत दई दई।।”

1.1.2.वृत्यानुप्रास अलंकार:-

  • जब एक व्यंजन की आवर्ती अनेक बार हो वहाँ वृत्यानुप्रास अलंकार कहते हैं।
जैसे :-

“चामर- सी ,चन्दन – सी, चंद – सी,
चाँदनी चमेली चारु चंद- सुघर है।”

1.1.3. लाटानुप्रास अलंकार:-

  • जहाँ शब्द और वाक्यों की आवर्ती हो तथा प्रत्येक जगह पर अर्थ भी वही पर अन्वय करने पर भिन्नता आ जाये वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है। अथार्त जब एक शब्द या वाक्य खंड की आवर्ती उसी अर्थ में हो वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे :-

“तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी के पात्र समर्थ,
तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी थी जिनके अर्थ।”

1.1.4. अन्त्यानुप्रास अलंकार:-

  • जहाँ अंत में तुक मिलती हो वहाँ पर अन्त्यानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे :-

” लगा दी किसने आकर आग।
कहाँ था तू संशय के नाग ?”

5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार:-

  • जहाँ पर कानों को मधुर लगने वाले वर्णों की आवर्ती हो उसे श्रुत्यानुप्रास अलंकार कहते है।
जैसे :-

”दिनान्त था , थे दीननाथ डुबते ,
सधेनु आते गृह ग्वाल बाल थे।”

2. यमक अलंकार :-

  • यमक शब्द का अर्थ होता है दो, जब एक ही शब्द ज्यादा बार प्रयोग हो, पर हर बार अर्थ अलग-अलग आये वहाँ पर यमक अलंकार होता है।
  • एक शब्द एक से अधिक बार आता है वहाँ यमक अलंकार होता है
उदाहरण :-

कनक कनक ते सौ गुनी , मादकता अधिकाय।
या खाये बौराय, जग वा पाये बौराय।”

नोट:-

  • दो कनक शब्द है
  • पहले कनक शब्द का अर्थ है धतूरा 
  • दुसरे कनक शब्द का अर्थ है सोना 

“काली घटा का घमण्ड घटा”

रति रति शोभा सब रति के सरीर की”

 

 

3.श्लेष अलंकार :-

  • जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आये पर उसके अर्थ अलग अलग निकलें वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।
जैसे :-

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै मोती मानस चून।।

4. पुनरुक्ति अलंकार:-

  • पुनरुक्ति अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है
  • पुन: +उक्ति
  • जब कोई शब्द दो बार दोहराया जाता है वहाँ पर पुनरुक्ति अलंकार होता है।

5.. विप्सा अलंकार:-

  • जब आदर, हर्ष, शोक, विस्मयादिबोधक आदि भावों को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करने के लिए शब्दों की पुनरावृत्ति को ही विप्सा अलंकार कहते है।
जैसे :-

मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय।
राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।

6. वक्रोक्ति अलंकार:-

  • जहाँ पर वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का श्रोता अलग अर्थ निकाले उसे वक्रोक्ति अलंकार कहते है।

वक्रोक्ति अलंकार के भेद :-

  1. काकु अक्रोक्ति अलंकार
  2. श्लेष वक्रोक्ति अलंकार

 

6.1. काकु वक्रोक्ति अलंकार:-

  • जब वक्ता के द्वारा बोले गये शब्दों का उसकी कंठ ध्वनी के कारण श्रोता कुछ और अर्थ निकाले वहाँ पर काकु वक्रोक्ति अलंकार होता है।
जैसे :-

मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।

6.2. श्लेष वक्रोक्ति अलंकार :-

  • जहाँ पर श्लेष की वजह से वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का अलग अर्थ निकाला जाये वहाँ श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है।
जैसे :-

को तुम हौ इत आये कहाँ घनस्याम हौ तौ कितहूँ बरसो ।
चितचोर कहावत है हम तौ तहां जाहुं जहाँ धन सरसों।।

 

1. अर्था अलंकार:-

  • जिस अलंकार में अर्थो  में चमत्कार उत्पन्न होता है उसे अर्था  अलंकार कहा जाता है

अर्था अलंकार के भेद :-

  1. उपमा अलंकार
  2. रूपक अलंकार
  3. उत्प्रेक्षा  अलंकार
  4. सन्देह  अलंकार
  5. अपहुति  अलंकार
  6. व्यक्तिरेक अलंकार
  7. उल्लेख अलंकार
  8. विरोधाभास अलंकार
  9. अन्योक्ति अलंकार
  10. अतिश्योक्ति अलंकार

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