मोहनजोदड़ो: एक परिचय
- मोहनजोदड़ो (सिंधी: “मृतकों का टीला”) पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1300 ई.पू.) का सबसे विकसित शहर था।
- इसकी खोज 1922 में राखलदास बनर्जी ने की।
- यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और प्राचीन शहरी योजना का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।
विषय | तथ्य |
---|---|
स्थान | पाकिस्तान(सिंधु नदी के तट पर) |
काल | 2600-1900 ई.पू. (परिपक्व हड़प्पा काल) |
खोजकर्ता | राखलदास बनर्जी (1922) |
यूनेस्को स्थिति | विश्व धरोहर स्थल (1980) |
विशिष्टता | विश्व का प्रथम नियोजित शहर |
महत्वपूर्ण नमूने |
|
विशेषता | विवरण |
---|---|
जालीदार सड़कें | उत्तर-दक्षिण/पूर्व-पश्चिम में 9.75 मीटर चौड़ी सड़कें |
जल निकासी | ईंटों की बनी नालियाँ → मुख्य नाली → निपटान तंत्र |
दो भाग | दुर्ग (ऊँचा टीला: प्रशासनिक भवन) निचला शहर (आवासीय क्षेत्र) |
ईंटें | मानकीकृत आकार (अनुपात 1:2:4), सूर्य में पकी हुई |
प्रमुख संरचनाएँ एवं अवशेष
1. महान स्नानागार
आयाम:
- 11.88 × 7.01 मीटर, **2.43 मीटर गहरा
विशेषता:
- जलरोधी चूने का प्लास्टर
- कुँए से जल आपूर्ति
उद्देश्य:
- धार्मिक अनुष्ठान या सामुदायिक स्नान
2. अन्नागार
आयाम:
- 45.71 × 15.23 मीटर
विशेषता:
- वायु संचार के लिए 27 खंभों वाली संरचना
क्षमता:
- 1,700 टन अनाज भंडारण
3. सभा भवन
- 70 × 24 मीटर का विशाल हॉल, 20 ईंट के खंभे
- संभवतः जनसभाओं या धार्मिक कार्यों के लिए
4. पुरोहित-राजा की मूर्ति
विवरण:
- साबुन के पत्थर की बनी 17.5 सेमी ऊँची मूर्ति
पहचान:
- आँखें बंद, वस्त्र पर त्रिशूल चिह्न
सामाजिक जीवन एवं संस्कृति
धर्म:
- मातृदेवी की पूजा, योगी की मुद्रा में मूर्तियाँ
कला:
- कांस्य की नर्तकी मूर्ति
- मिट्टी के बैलगाड़ी मॉडल
लिपि:
- 400 चिह्नों वाली अबूझ सिंधु लिपि (मुहरों पर अंकित)
व्यापार:
- मेसोपोटामिया से व्यापार (मोती, हाथी दाँत)
पतन के कारण: प्रमुख सिद्धांत
- सरस्वती नदी का सूखना
- बाढ़ (शहर में 7 बाढ़ स्तरों के साक्ष्य)
- जलवायु परिवर्तन
- आर्य आक्रमण (विवादित सिद्धांत)
सर मोर्टिमर व्हीलर के अनुसार:
“मोहनजोदड़ो ने नगर योजना में जो उच्च स्तर प्राप्त किया, वह रोम तक भी नहीं पहुँच सका।”