हास्य रस : परिभाषा, अवयव, उदाहरण और प्रतियोगी परीक्षा प्रश्नोत्तरी

हास्य रस: परिभाषा, उदाहरण और प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु संपूर्ण मार्गदर्शिका

  • हास्य रस: हँसी की काव्यात्मक अभिव्यक्ति

प्रस्तावना

  • हिंदी साहित्य में नौ रसों में से हास्य रस सर्वाधिक आनंददायक रस है, जो हँसी, विनोद और प्रसन्नता को व्यक्त करता है।
  • यह प्रतियोगी परीक्षाओं का महत्वपूर्ण टॉपिक है।
  • यह लेख हास्य रस की परिभाषा, उदाहरण और पिछले वर्षों के प्रश्नों के साथ आपकी तैयारी को पूर्णता प्रदान करेगा।

हास्य रस क्या है?

परिभाषा:

  • जहाँ काव्य में विकृत वेश-भूषा, हास्यास्पद व्यवहार या मनोरंजक स्थितियों का वर्णन होता है, वहाँ हास्य रस की निष्पत्ति होती है।

हास्य रस

स्थायी भाव हास
उद्दीपन विभाव विचित्र वस्त्र, मूर्खतापूर्ण बातें
अनुभाव ठहाके लगाना, पेट पकड़कर हँसना
संचारी भाव उल्लास, आश्चर्य, उत्सुकता

हास्य रस के प्रकार

  1. स्मित: मुस्कुराहट (हल्का हास्य)।
  2. हसित: मध्यम हँसी।
  3. विहसित: ठहाके लगाकर हँसना।
  4. अपहसित: अश्लील या अमर्यादित हँसी (काव्य में प्रयुक्त नहीं)।

हास्य रस के उदाहरण

उदाहरण 1: कबीरदास

 कहत कबीर सुनो भाई साधो,
बिना सतगुरु पाया जाए न बाधो।
जैसे नाक न बिना सूँघे गंध,
बिना नैन न देखे अंध।

स्पष्टीकरण:

  • साधु की मूर्खतापूर्ण बातों पर व्यंग्य।

उदाहरण 2:  भारतेन्दु हरिश्चंद्र (अँधेर नगरी)

अँगरेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।
पै धन विद्या कबहुँ नहिं, दोनों एकत्र चीन॥

उदाहरण 3 (हरिशंकर परसाई):

मैं और सूरज चाँद, हम तीनों चले आपा-धापी।
सूरज कहता बच्चू, हटो ओ अँधेरे के कापी!

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी

प्रश्न  “हास्य रस का स्थायी भाव क्या है?”

(UPSC 2020):

उत्तर: हास।

प्रश्न :  “हास्य रस के कितने भेद माने जाते हैं?”

(BPSC 2019)

उत्तर:   चार (स्मित, हसित, विहसित, अपहसित)।

प्रश्न    “निम्न में हास्य रस का उदाहरण कौन है?”

(SSC CGL 2021)

(a) तुलसीदास का “हनुमान चालीसा”

(b) भारतेन्दु हरिश्चंद्र का “अँधेर नगरी”

(c) मीरा के भक्ति पद

उत्तर: (b) —  भारतेन्दु हरिश्चंद्र का “अँधेर नगरी”

प्रश्न   “हास्य रस के उद्दीपन विभाव के उदाहरण दीजिए।”

(UPPSC 2018)

उत्तर:

  • टेढ़ी टोपी पहनना, गलत उच्चारण, अतिशयोक्तिपूर्ण बातें।

प्रश्न :   “काव्य पंक्ति में रस पहचानें:

बैठे रहते अक्सर खामोश, जब बोलो तो हँसाओ सबको।

(CTET 2022)

उत्तर: हास्य रस

हास्य रस का साहित्यिक एवं सामाजिक महत्व

सामाजिक प्रभाव:

  • भारतेन्दु और परसाई ने हास्य के माध्यम से समाज की कुरीतियों पर प्रहार किया।

मनोवैज्ञानिक लाभ:

  • तनाव कम करने और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में सहायक।

साहित्यिक प्रयोग:

  • संस्कृत नाटकों (जैसे: मृच्छकटिकम) से लेकर आधुनिक व्यंग्य कविताओं तक हास्य रस का प्रयोग।

निष्कर्ष

  • हास्य रस साहित्य की वह शक्ति है जो जीवन के कटु सत्य को हँसते-हँसते प्रस्तुत करता है।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में इसके प्रकारों, उदाहरणों और अवयवों पर ध्यान दें।
  • याद रखें:  “हँसते रहो, जिंदगी को हँसाते रहो!”

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