13 May 2025
व्यंजन वर्ण

व्यंजन वर्ण

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व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं

  • मुख से रुकावट के साथ निकलने वाले वर्ण व्यंजन कहते है
  • व्यंजनों की संख्या  39
  • सभी व्यंजन पुलिंग होते है

व्यंजन वर्ण की परिभाषा

“स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले ध्वनि को व्यंजन कहते है”

व्यजंन वर्ण के भेद

  • व्यजंन वर्ण के तीन भेद होते है
  1. स्पर्श व्यंजन
  2. अन्तस्थ व्यंजन
  3. ऊष्म व्यंजन

मूल व्यंजन की संख्या

मूल व्यंजन वर्णों की संख्या 33 है

  • स्पर्श व्यंजन (25)
  • अन्तस्थ व्यंजन (4)
  • ऊष्म व्यंजन (4)

25 + 4 + 4 = 33

कुल व्यंजन की संख्या

व्यंजन वर्णों की कुल संख्या 39 है

  • स्पर्श व्यंजन (25)
  • अन्तस्थ व्यंजन (4)
  • ऊष्म व्यंजन (4)
  • संयुक्त (4)
  • द्विगुण (2)

25 + 4 + 4 + 2 =39

स्पर्श व्यंजन

  • जिन व्यंजन के उच्चारण में जीभ का कोई ना कोई भाग मुख के किसी भी भाग को स्पर्श करता है, उसे स्पर्श व्यजंन कहते है।
  • इन्हें वर्गीय व्यंजन भी कहते है
  • इसमें कुल 25 वर्ण होते है

स्पर्श व्यंजन

वर्ग (कंठ)
वर्ग (तालु)
वर्ग (मूर्धा)
वर्ग (दन्त)
वर्ग (ओष्ठ)

अंतस्थ व्यंजन

  • कुछ समय के लिए वर्ण मुख में ठहरे रहते है।
  • अंतस्थ व्यंजन वर्णों की संख्या चार है

य, र, ल, व

  • य ⇒ तालु ⇒ अर्द्ध स्वर
  • मूर्धा ⇒ लुंठित/प्रकंपित
  • दन्त ⇒ पर्शिविक
  • दन्तोष्ठ ⇒ अर्द्ध स्वर

ऊष्म व्यंजन वर्ण

  • वे वर्ण जिनके उच्चारण में लगे में गर्माहट /सरसराहट महसूस हो
  • उष्म व्यंजन वर्णों  की संख्या चार होती है

श, ष, स, ह

  • (तालव्य)
  • (मूर्धन्य )
  • (दंतव्य)
  • (कंठव्य)

संयुक्त व्यंजन

  • दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल से बने शब्द को संयुक्त वर्ण कहते है
  • संयुक्त व्यंजन की संख्या चार है

क्ष, त्र, ज्ञ, श्र 

  • क् + ष = क्ष
  • त् + र = त्र
  • ज् + ञ = ज्ञ
  • श् + र = श्र

अनुनासिक वर्ण

  • अनुनासिक वे वर्ण जिनके उच्चारण में ध्वनि नासिका तथा मुख से समान रूप से निकलती है, अनुनासिक वर्ण कहलाते है।
  • इन्हें वर्गीय पंचमाक्षर भी कहते है।

ङ, ञ, ण, न, म

कंठ

तालु

मूर्धा

दन्त

ओष्ठ

व्यंजन वर्ण  का वर्गीकरण

  • घोष के आधार पर
  • प्राण के आधार पर
  • प्रयत्न के आधार पर
  • उच्चारण स्थान के आधार पर

घोष के आधार पर व्यंजन का वर्गीकरण

घोष ⇒ नाद, गूंज, स्वर तन्त्री में कम्पनता

  • घोष के आधार पर व्यंजन दो प्रकार के होते है
  1. सघोष
  2. अघोष

सघोष/ घोष

  • जिन वर्णों के उच्चारण के समय स्वर तन्त्री में कम्पनता उत्पन हो, उसे सघोष कहते है
  • जिन वर्णों के उच्चारण में केवल नाद या गूंज उत्पन हो, उसे सघोष कहते है
  • सभी स्वर घोष होते है

ग  घ  ङ  

ज  झ  ञ 

ड  ढ  ण

द  ध  न

ब  भ  म

य  र  ल  व ह    

अघोष

  • जिन वर्णों के उच्चारण के समय स्वर तन्त्री में कम्पनता न उत्पन हो, उसे अघोष कहते है
  • जिन वर्णों के उच्चारण में केवल स्वास (हवा) का प्रयोग हो, उसे अघोष कहते है

क  ख  

च  छ 

ट  ठ

त  थ

प  फ

श  ष  स

प्राण के आधार पर व्यंजन का वर्गीकरण

  • प्राण के आधार पर व्यंजन दो प्रकार के होते है
  1. अल्पप्राण (19)
  2. महाप्राण (14)

अल्पप्राण

  • स्पर्श व्यंजन के कालम 1, 3 और 5 अल्पप्राण वर्ण होते है 
  • अन्तस्थ वर्ण अल्पप्राण वर्ण होते है
  • सभी स्वर अल्प प्राण होते है
  • कम श्वास निकलता है
  • तंत्रियां झंकृत नही होती है

क  ग  ङ  

च  छ  ञ 

ट  ड  ण

त  द  न 

 प  ब  म

य  र  ल  व 

महाप्राण

  • स्पर्श व्यंजन के कालम 2 और 4 महाप्राण वर्ण होते है 
  • उष्म वर्ण महाप्राण वर्ण होते है
  • अधिक श्वास निकलता है
  • तंत्रियां झंकृत होती है

ख  घ

छ  झ

ठ ढ

थ  ध

फ भ

श  ष  स  ह

प्रयत्न के आधार पर व्यंजन वर्ण का वर्गीकरण

स्पर्श व्यंजन (25)

  • क ख ग घ ङ
  • ट ठ ड ढ ण
  • त थ द ध न
  • प फ ब भ म

स्पर्श संघर्षी व्यंजन (4)

  • च छ ज झ

संघर्षी व्यंजन (4)

  • श, ष, स, ह

पंचामाकक्षर व्यंजन/अनुनासिक व्यंजन (5)

  •  ङ, ञ, ण, न, म

प्रकंपित व्यंजन /लुंठित /कम्पन जात व्यंजन(1)

पार्श्विक व्यंजन(1)

अर्द्ध स्वर व्यंजन (2)

  •  य, व

द्विगुण व्यंजन

अन्य नाम ⇒ संकर व्यंजन/उत्क्षिप्त  वर्ण/द्विज वर्ण/नवीन वर्ण /आधुनिक वर्ण (2)

  • ड़ ढ़

उच्चारण स्थान के आधार पर

  • कंठ
  • तालु
  • मूर्धा
  • दन्त
  • ओष्ठ
  • दन्तोष्ठ
  • कंठ-तालव्य
  • कंठोष्य
  • नासिका

कंठ 

  • अ, आ, क, ख, ग, घ, ङ, ह

तालु

  • इ, ई, च, छ, ज, झ, ञ, य

मूर्धा

  • ऋ, अ:, ट, ठ, ड, ढ, ण

दन्त

  • ट, थ, द, ध, न, स

ओष्ठ 

  • उ, ऊ, प, फ, ब, भ, म

दन्तोष्ठ

कन्ठ तालाव्य 

  • ए, ऐ

कंठोष्य

  • ओ, औ

नासिका

  • अं, ङ, ञ, ण, न, म

अयोगवाह

  • ये न तो स्वर वर्ण न ही व्यंजन वर्ण है

अं, अ:

अं अनुस्वर

अ: विसर्ग

विशिष्ट वर्ण

ह  कंठ, उष्म, संघर्षी, उष्म संघर्षी, महाप्राण, सघोष, ककल्य वर्ण, स्वरयंत्रिय  वर्ण, छदवर्णी वर्ण, शहीद वर्ण

  ⇒ पार्श्विक, लुंठित, कम्पनजात, अंत:स्थ, सघोष, अल्पप्राण, मूर्धा

  ⇒ पार्श्विक, अंत:स्थ, सघोष, महाप्राण, दन्त 

ड़, ढ़  ⇒ संकर व्यंजन/उत्क्षिप्त  वर्ण/द्विज वर्ण/नवीन वर्ण /आधुनिक वर्ण

संयुक्त ध्वनिया

  1. संयुक्त अक्षर ध्वनि
  2. द्वित्व  ध्वनि
  3. सम्वृक्त ध्वनि

संयुक्त अक्षर ध्वनि

  • यदि दो व्यंजन एक ही स्वर के सहायता से बोली जाये तो, संयुक्त अक्षर ध्वनि  कहते है

संयुक्त अक्षर ध्वनि के उदाहरण

ग्लानि :- 

  • ग्+ल्++न्+इ

प्रेम :- 

  • प्+र्++म्+अ

द्वित्व ध्वनि/ युग्मक ध्वनि

  • यदि दो समान व्यंजन एक ही स्वर के सहायता से बोली जाये तो, ध्वनि कहते है

द्वित्व ध्वनि के उदाहरण

दिल्ली :- 

  • द् + इ + ल् + ल् + ई  = दिल्ली

पक्का :- 

  • प् + अ + क् + क् + = पक्का

कच्चा :- 

  • क् + अ + च् + च् + = कच्चा

सच्चा :- 

  • स् + अ + च् + च् + = सच्चा

बच्चा :- 

  • ब् + अ + च् + च् + = बच्चा

सम्पृक्त ध्वनि

  • यदि व्यंजन दो हो लेकिन पहले स्वर हो तथा बाद में भी स्वर हो तो ऐसे व्यंजन को सम्वृक्त ध्वनि कहते है

सम्वृक्त ध्वनि के उदाहरण

उन्मत :- 

  • उ+न्+म्++त्+अ

सम्बल :- 

  • स्+अ+म्+ब्+अ+ल्+अ

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