24 April 2025
वर्णमाला

वर्णमाला || हिन्दी वर्ण माला || Hindi Varn mala | स्वर के प्रकार

Homeवर्ण मालारसछन्द | अलंकार

वर्ण

  • हिन्दी भाषा की वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके और छोटे भाग न किया जा सके ध्वनि कहलाती है।
  • भाषा का लघुत्तम रूप वर्ण कहलाता है

वर्णमाला

  • वर्णों के सुव्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते है

वर्णमाला परिभाषा

कामता प्रसाद गुरु के अनुसार  “वर्णमाला वर्णों के समुदाय(व्यवस्थित क्रमवद्ध)  को कहते है”

वर्ण के भेद

  • वर्ण के दो भेद होते है
  1. स्वर
  2. व्यंजन

1.स्वर (अच् )

  • वे वर्ण जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सके
  • इसमें किसी अन्य वर्ण की जररूत नही पड़ती

परिभाषा “जिन ध्वनि के उच्चारण में किसी अन्य ध्वनि का सहारा न लेना पड़े उसे स्वर कहते है”

  • स्वरों की संख्या 11 होती है ⇒ (अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ )
  • स्वर मात्राओ की संख्या 10 होती है
  • अ स्वर की मात्रा नही होती है

स्वर के भेद

  • स्वर के मुख्यतः तीन भेद होते है
  1. ह्रस्व स्वर / लघु स्वर
  2. दीर्घ स्वर / संयुक्त स्वर
  3. प्लुत स्वर

स्वर के भेद

  • उत्पत्ति के आधार पर
  • मात्रा/कालमान के आधार पर
  • उच्चारण के आधार पर
  • जीभ प्रयोग के आधार पर
  • ओष्ठ प्रयोग के आधार पर
  • मुख विवर के आधार पर

उत्पत्ति के आधार पर स्वर के भेद

  • उत्पत्ति के आधार पर स्वर के दो भेद होते है
  1. मूल स्वर
  2. संधि स्वर

मूल स्वर

  • इसमें केवल एक ही ध्वनि होती है
  • इसकी संख्या चार है

जैसे :-

अ, इ, उ, ऋ

संधि स्वर

  • इसमें दो ध्वनियाँ होती है
  • इसकी संख्या सात है

जैसे :-

आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

  1. संधि स्वर  (दो ध्वनि )    (7)

संधि स्वर के भेद

  • इसके दो भेद होते है
  1. दीर्घ स्वर
  2. संयुक्त स्वर /मिश्रित स्वर

दीर्घ स्वर

  • इसकी संख्या तीन है

जैसे :-

आ, ई, ऊ 

अ + अ = आ

इ + इ = ई

उ + उ = ऊ

संयुक्त स्वर /मिश्रित स्वर

  • इसकी संख्या चार है

जैसे :-

ए, ऐ, ओ, औ

अ + इ = ए

अ + ए = ऐ

अ + उ = ओ

अ + ओ = औ

कालमान /मात्रा /उच्चारण समय के आधार पर स्वर के भेद

  • कालमान के आधार पर स्वर के तीन भेद होते है
  • मात्रा की परिभाषा :-  स्वरों के उच्चारण में लगने वाले समय को मात्रा कहते है
  1. ह्रस्व स्वर
  2. दीर्घ स्वर
  3. प्लुत स्वर

1. ह्रस्व स्वर

अन्य नाम: – मूल स्वर/ एक मात्रिक /लघु स्वर

  • जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है, ह्रस्व स्वर कहलाता है।
  • इसके निर्माण में अन्य स्वर की आवश्कता नही होती है।
  • इसकी संख्या चार होती है

जैसे :-

अ,  इ,  उ,  ऋ

2. दीर्घ स्वर

अन्य नाम दीर्घ स्वर / संधि स्वर/ द्विमात्रिक स्वर/ गुरु

  • जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगता है, दीर्घ स्वर कहलाता है।
  • इसके निर्माण में अन्य स्वर की आवश्कता होती है।
  • इसकी संख्या सात है

जैसे :-

आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

3. प्लुत स्वर

  • अन्य नाम त्रिमात्रिक
  • इसमें तीन मात्राए होती है

जैसे: – ॐ 

उच्चारण स्थान के आधार पर स्वर के भेद

  • उच्चारण स्थान के आधार पर स्वर के छ: भेद होते है
  • स्वरों की कुल संख्या 11 है
  1. कंठ ⇒ (अ,आ)
  2. तालु ⇒ (इ, ई)
  3. मूर्धा ⇒ ऋ
  4. ओष्ठ ⇒ उ, ऊ)
  5. कंठ-तालु ⇒ (अ+इ = ए, ऐ)
  6. कंठ-ओष्ठ ⇒ (अ+उ = ओ,औ)

जीभ प्रयोग के आधार पर स्वर के भेद

  • जीभ प्रयोग के आधार पर तीन भेद होते है
  1. अग्र स्वर
  2. मध्य स्वर
  3. पश्च स्वर

अग्र स्वर

  • इ, ई, ए, ऐ

मध्य स्वर

  • अ, आ

पश्च स्वर

  • उ, ऊ, ओ, औ

ओष्ठ प्रयोग के आधार पर स्वर के भेद

  • ओष्ठ प्रयोग के आधार पर दो भेद होते है
  1. वृत मुखी स्वर
  2. अर्द्ध वृत मुखी स्वर

वृत मुखी स्वर

  • उ, ऊ, ओ, औ

अर्द्ध वृत मुखी स्वर

  • आ, इ, ई, ए, ऐ

मुख विवर/ मुख आकृति के आधार पर स्वर के भेद

  1. विवृत स्वर (Open) ⇒ अ
  2. अर्द्ध विवृत स्वर (Half Open)
  3. अर्द्ध संवृत स्वर (Half Close)
  4. संवृत स्वर (Close) ⇒ इ, ई, उ, ऊ

स्वर की लिंग

  1. पुलिंग स्वर
  2. स्त्रीलिंग स्वर

पुलिंग स्वर

  • कुल सात है

आ, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

स्त्रीलिंग स्वर

  • कुल तीन है

इ, ई, ऋ

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