29 July 2025
राज्य के नीति निर्देशक तत्व

राज्य के नीति निर्देशक तत्व | भारतीय संविधान भाग 4

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भारतीय संविधान भाग 4

  • इस लेख में राज्य के नीति निर्देशक तत्व के बारें में बताया गया है

राज्य के नीति निर्देशक तत्व || DPSP (Directive Principle of State Policy)

  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व का वर्णन संविधान के भाग चार में किया गया है
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व आयरलैण्ड के संविधान से लिया गया है
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व को न्यायालय में चुनौती नही दी जा सकती
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व का प्रावधान अनुच्छेद 36 से अनुच्छेद 51 तक किया गया है

अनुच्छेद 36

  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व की परिभाषा
  • राज्य का अर्थ राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्र सरकार, प्रदेश स्तर पर राज्य सरकार, ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायत

अनुच्छेद 37

  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व को न्ययालय द्वारा प्रवर्तनीय नही है
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व न्यायालय में वाद-विवाद योग्य नही है
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व को लागू करना राज्य की इच्छा पर निर्भर करता है

अनुच्छेद 38

  • राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनायेगा, जिससे नागरिक को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय मिलेगा।

अनुच्छेद 39

  • स्त्री और पुरुष को समान कार्य के लिए समान वेतन की व्यवस्था करेगा

अनुच्छेद 39(क)

  • राज्य समान न्याय
  • राज्य निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराएगा

अनुच्छेद 39(ख)

  • सार्वजनिक धन का स्वामित्व तथा नियन्त्रण इस प्रकार करना ताकि सार्वजानिक हित का सर्वातिम साधन हो सके।

अनुच्छेद 39(ग)

  • राज्य धन का समान वितरण करेगा

अनुच्छेद 40

  • ग्राम पंचायतो का गठन
  • राजस्थान में नागौर में 2 अक्टूबर 1959 पहली बार ग्राम पंचायत का गठन किया गया

अनुच्छेद 41

  • कुछ दशाओ मे काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार
  • जैसे : –
  • वृद्धा पेंशन
  • विधवा पेंशन
  • विकलांग पेंशन

अनुच्छेद 42

  • मानोंचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबन्ध
  • मानोंचित दशाओं ⇒ कामगारों को  बीमारी में अवकाश उपलब्ध करना
  • प्रसूता अवकाश ⇒ (अधिकतम दो बच्चों पर) बच्चे के जन्म के तीन माह पहले और तीन माह बाद तक अवकाश )

अनुच्छेद 43

  • कार्य का न्यायसंगत वेतन उपलब्ध कराना
  • न्यायसंगत वेतन ⇒ कार्य के लिए उचित वेतन देना
  • राज्य कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी प्रदान करेगा
  • राज्य कुटीर उद्योगो को प्रोत्साहन देगा

अनुच्छेद 43 (क)

  • उद्योग प्रबन्धन में कामगारो की भागीदारी होनी चाहिए

अनुच्छेद 43 (ख)

  • सहकारी समिति (Co-Operative) का गठन

अनुच्छेद 44

  • समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)
  • पहली बार गोवा में लागू हुआ
  • दूसरी बार उत्तराखण्ड में लागू हुआ

अनुच्छेद 45

  • छ: से 14 वर्ष तक के बच्चों को कक्षा 1 से 8 तक नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा देना
  • अब यह प्रावधान 86 संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 21(क) में मूल अधिकार के रूप में शामिल किया गया है  है

अनुच्छेद 46

  • अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ-संबंधी हितो की अभिवृद्धि के लिए विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 47

  • पोषाहार स्तर(मध्यान्ह भोजन  कार्यक्रम), जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य होगा
  • नशीली दवा, मादक पदार्थ (शराब या अन्य) का प्रतिबन्ध

अनुच्छेद 48

  • कृषि एंव पशुपालन को बढ़ावा देना
  • नाबार्ड की स्थापना

अनुच्छेद 48 (क)

  • पर्यावरण संरक्षण
  • वन संरक्षण
  • वन्य जीव संरक्षण

अनुच्छेद 49

  • राज्य का कर्तव्य होगा राष्ट्रीय महत्व की स्मारकों, स्थानों एंव वस्तुओं का संरक्षण करना
  • जैसे लालकिला, ताजमहल, इंडिया गेट या अन्य का संरक्षण

अनुच्छेद 50

  • कार्यपालिका और न्यायपालिका का प्रथक्करण

अनुच्छेद 51

  • अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा

मूल अधिकार और राज्य के नीति निर्देशक तत्व में अन्तर

मूल अधिकार नीति निर्देशक तत्व
संविधान का भाग 3 संविधान का भाग 4
अनुच्छेद 12 से 35 तक अनुच्छेद 36 से 51तक 
स्रोत अमेरिका स्रोत आयरलैंड
वाद योग है वाद योग्य नही है
नैसर्गिक अधिकार कोई अधिकार नही
यह सरकार की शक्तियों को सीमित करता है यह सरकार की शक्तियों को बढ़ाता है

राज्य के नीति निर्देशक तत्व से सम्बंधित वाद विवाद

  1. चम्पकम दोराई बनाम मद्रास राज्य 1951
  2. गोलक नाथ बनाम पंजाब राज्य 1967
  3. VM थामस बनाम केरल राज्य 1976
  4. मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ 1980
  5. अशोक कुमार ठाकुर बनाम भारत संघ 2008

चम्पकम दोराई बनाम मद्रास राज्य 1951

  • मूल अधिकार सर्वोच्च है
  • नीति निर्देशक तत्व  सहायक है

मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ 1980

  • मूल अधिकार और नीति निर्देशक तत्व में संतुलन होना चाहिए

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