सुमित्रानंदन पंत
- सुमित्रानंदन पन्त को प्राकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है
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सुमित्रानंदन पन्त छायावादी युग के चार स्तंभ में से एक है
जन्म | 20 मई 1900 |
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जन्म स्थान | अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) |
पिता | गंगादत्त पन्त |
माता | सरस्वतीं देवी |
भाषा | हिन्दी |
उपाधि | प्रकृति के सुकुमार कवि |
मृत्य | 20 दिसम्बर 1977 |
मृत्य स्थान | प्रयागराज (इलाहबाद ) |
काव्य संग्रह | प्रकाशित वर्ष |
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वीणा | 1927 |
पल्लव | 1928 |
ग्रंथि | 1929 |
गुंजन | 1932 |
युगांत | 1937 |
ग्राम्या | 1940 |
स्वर्ण किरण | 1947 |
उत्तरा | 1949 |
चिदंबरा | 1956 |
काला और बूढ़ा चाँद | 1959 |
महाकाव्य
- सत्यकाम
- लोकायतन
उपन्यास
- हार
नाटक
- रजत
- ज्योत्सना
- शिल्पी
- शिखर
आत्मकथा
- सौवर्ण
निबन्ध संग्रह
- शिल्प और दर्शन
- संस्कृति के चार अध्याय
साहित्य अकादमी पुरस्कार
- सुमित्रानंदन पन्त जी कला और बूढा चांद रचना के लिए 1960 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया
पदमभूषण पुरस्कार
- सुमित्रानंदन पन्त जी को हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए इन्हें 1961 में पदम भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया
ज्ञानपीठ पुरस्कार
- सुमित्रानंदन पंत जी चिदम्बरा रचना के लिए 1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया
सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार
- सुमित्रानंदन पन्त को लोकायतन के लिए सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार दिया गया।
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