अनुप्रास अलंकार क्या है?

अनुप्रास अलंकार: परिभाषा, प्रकार और उदाहरण | पूर्ण मार्गदर्शिका

Home | हिन्दी व्याकरण

अनुप्रास अलंकार क्या है?

  • अनुप्रास अलंकार हिंदी साहित्य का एक प्रमुख शब्दालंकार है जिसमें एक ही वर्ण या वर्ण समूह की आवृत्ति से काव्य में लय और मधुरता उत्पन्न होती है।
  • यह काव्य को संगीतमय और प्रभावशाली बनाता है।

परिभाषा

“जहाँ एक ही वर्ण की बार-बार आवृत्ति हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।”

अनुप्रास अलंकार के प्रकार

  1. छेकानुप्रास
  2. वृत्यानुप्रास
  3. लाटानुप्रास
  4. श्रुत्यानुप्रास

छेकानुप्रास

  • जब स्वरूप और उच्चारण में समान वर्णों की पुनरावृत्ति हो।

उदाहरण:

“तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।”

वृत्यानुप्रास

“जब समान वर्णों का प्रयोग विशेष रीति से किया जाए।”

उदाहरण:

“मुदित महीपति मंदिर आए।”

लाटानुप्रास

“जब एक ही शब्द की बार-बार आवृत्ति हो।”

उदाहरण:

 “जय जय जय जय जय जय जय हे।”

श्रुत्यानुप्रास

जब समान ध्वनि वाले भिन्न वर्णों का प्रयोग हो।

उदाहरण:

“घन घोर घटा घमंड घेरे।”

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण

प्रकृति वर्णन:

“चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल थल में।”

भक्ति रस:

“मधुर मधुर मधुर मुख बोली, मधुर मधुर मधुर मुस्कान।”

श्रृंगार रस:

“ललित लवंग लता पर, लिपटे लटके लोल।”

अनुप्रास अलंकार का महत्व

  • काव्य को सुरीला और आकर्षक बनाता है
  • यह भाषा में लय और संगीतमयता उत्पन्न करता है
  • काव्य के भावों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है
  • स्मरणीयता को बढ़ाता है

अनुप्रास और यमक अलंकार में अंतर

विशेषताअनुप्रास अलंकारयमक अलंकार
प्रकृतिवर्णों की पुनरावृत्तिशब्दों की पुनरावृत्ति
उद्देश्यध्वनि सौंदर्यअर्थ विस्तार
उदाहरण“तरनि तनूजा तट तमाल”“काल करे सो आज कर”

निष्कर्ष

  • अनुप्रास अलंकार हिंदी काव्य का एक मूलभूत और सुंदर अलंकार है जो कविता को संगीतमय बनाकर पाठक के मन पर अमिट छाप छोड़ता है।
  • यह कवियों द्वारा सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला अलंकार है जो काव्य को और अधिक प्रभावशाली बनाता है।

Leave a comment

error: Content is protected !!