लोकोक्तियां | अर्थ |
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अरहर की टट्टी गुजरती ताला | छोटी वस्तु की सुरक्षा में अधिक खर्च करना |
आसमान से गिरा खजूर पर अटका | एक समस्या से निकल कर दुसरे में फसना |
अंधेर नगरी चौपट राजा | सब के सब मुर्ख(जैसा राजा वैसा ही प्रजा ) |
ऊँची दुकान फीकी पकवान | बहुत बड़ा नाम काम बहुत छोटा |
का बरखा जब कृषि सुखाने | उचित समय पर कार्य न होना |
जैसा देश वैसा भेष | परिस्थिति के अनुसार बदलना |
दाल भात में मूसलचन्द | अनावस्यक हस्तक्षेप करना |
ना नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी | न ही इतनी व्यवस्था हो पायेगी न ही कार्य होगा |
नौ दिन चले आढ़ई कोस | बहुत धीमी गति से कार्य करना |
नांच ना आवे आंगन टेढ़ा | कमी खुद में आरोप दुसरो पर लगाना |
मान न मान मै तेरा मेहमान | जबरदस्ती किसी के गले पड़ना |
छछुंदर के सिर पर चमेली का तेल | अयोग्य व्यक्ति को उच्च पद प्राप्त हो जाना |
दूध का जला हुआ छाछ को फुक फुक पीता है | एक बार हानि हो जाने पर बहुत सोच विचार कर कार्य करना |
दुधारू गाय की लात ही सही | बहुत लाभ वाली वस्तु की कुछ कमियों को नजरअंदाज किया जाता है |
दूध का दूध पानी का पानी | निष्पक्ष न्याय करना |
देशी कौवा विलाती बोल | बेमेल कार्य करना |
नेकी कर नदी में डाल | भलाई करके भूल जाना |
कछुआ की चाल चलना | बहुत धीमी गति से कार्य करना |
नौ की लकड़ी नब्बे की खर्चा | जरूरत से बहुत ज्यादा खर्च करना |
नौ नगद न तेरह उधार | उधार की वस्तु अधिक मंहगी होती होती है |
पूत के पाव पालने में ही नजर आते है | गुणवान के लक्षण बचपन में ही पता चल जाता है |
पत्थर को जोंक नही लगती | कमजोर व्यक्ति को ज्यादा समस्या होती है |
पढ़े फारसी बेचे तेल यह देखो कुदरत का खेल | किस्मत का मारा व्यक्ति /भाग्य साथ न देना |
पर उपदेश कुशल बहु तेरे | दुसरो को उपदेश देना सरल होता है जबकि उसको अपनाना कठिन होता है |
पल में तोला पल में मासा | व्यक्ति का पल भर में बदल जाना |
फिसल गये तो हर हर गंगे | असावधानी पूर्वक कार्य करने पर भी लाभ प्राप्त करना |
मुख में राम बगल में छुरी | बनावटी मित्रता करके मौका मिलने पर हानि पहुचना/कपटी मित्र |
बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद | किसी वस्तु के विशेषता को न पहचानना |
बालू की भीति | अस्थायी वस्तु |
बासी बचे न कुत्ता पाए | बहुत सिमित खर्च करना |
मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक | सिमित क्षेत्र तक ही कार्य करना |
न रहे बांस न बजे बासुरी | समस्या के कारण को ख़त्म करने पर समस्या स्वत: ही नष्ट हो हो जाती है |
यथा नाम जथा गुण | जैसा नाम है वैसा गुण होना |
राम-राम जपना, पराया मॉल अपना | ढोगी होना |
राम मिलाई जोड़ी एक काना एक कोढ़ी | असमान लोग का मेल होना |
लकीर का फ़कीर होना | परंपरागत होना |
सांप मर जाये और लाठी न टूटे | कार्य भी हो जाये और कुछ भी हानि भी न हो |
आँख का अन्धा नाम नयन सुख | नाम के विपरीत कार्य |
लड़को में लड़का और बूढ़ों में बुढा | परिस्थित के अनुसार घुल जाना |
ढ़ाक के तीन पात | ज्यो का त्यों बना रहना |
सांच बराबर तप नही झूठ बराबर पाप | सत्य के सामान तप नही झूठ से बड़ा कोई पाप नही |
न सावन का सुखा न भादो का हरा | हर समय सामान रहना |
हींग लगे न फिटकिरी, रंग चोखा ही आये | बिना लागत के अच्छा कार्य होना |
पेड़ से गिरा खजूर पर अटका | एक समस्या से निकल कर दुसरे समस्या में फसना |
सीधी ऊँगली से घी नही निकलता | विनम्रता से कार्य पूर्ण नही हो सकता |
रात पड़े उपासी, दिन में खोजे बासी | बहुत ही निर्धनता आ जाना |
बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख | धनी व्यक्ति को ही बिना मिलता है, निर्धन व्यक्ति को मांगने पर भी नही मिलता |
भागते भूत की लागोती ही सही | सब कुछ जाने पर जो मिल जाये वही सही है |
प्रतियोगी परीक्षाओ के प्रश्न और उत्तर
20. ‘कौओं के कोसे ढोर नहीं मरते।’ लोकोक्ति का अर्थ है :
UPSSSC Junior Assistant 29 June 2025
(A) बुरे की बुराई से अच्छे को हानि न होना
(B) बुरा सदैव बुरा ही रहता है अच्छा नहीं होता
(C) काले लोगों के कारनामे से सफेद को हानि न होना
(D) पक्षियों से ढोर का नहीं मरना
(E) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Ans (A) बुरे की बुराई से अच्छे को हानि न होना