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मगध सम्राज्य का उदय
- छठी शताब्दी ईसा पूर्व 16 महाजनपदों उदय हुआ, इनमे मगध सबसे शक्तिशाली था।
हर्यक वंश
- बिम्बसार
- अजातशत्रु
- उदायिन
- नागदशक
1. बिम्बिसार
- बिम्बिसार (544-492) ई.पूर्व हर्यक वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक था
- बिम्बिसार ने मगध की राजधानी राजगीर में स्थापित किया
- उसकी राजधानी 5 पहाड़ियों से घिरी थी, जिसका प्रवेश द्वारा चारो ओर से पत्थर की दीवार से घिरा था
- इस कारण से राजगृह लगभग अविजित बन गया था
- वह महात्मा बुद्ध का समकालीन था
- उसने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कौशल, वैशाली एवं लिछिवी राजवंशों से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए
- बिम्बिसार ने मगध की विस्तार के लिए चार विवाह किया
- प्रथम विवाह कोसल नरेश की पुत्री महाकोसली से हुआ
- दूसरा विवाह लिछिवी नरेश चेटक की बहन चेलन्या से हुआ
- तीसरा विवाह पंजाब की छेमा से हुआ
- चौथा विवाह वैशाली की आम्रपाली से हुआ
- चेलन्या इसकी प्रिय पत्नी थी
- चेलन्या से उत्पन्न पुत्र अजातशत्रु था
- चेलन्या से प्रभावित होकर बिम्बिसार से जैन धर्म अपना लिया था
- इनका राजवैध जीवक था
- इसने अवन्ति के राजा की ईलाज के लिए राजवैद्य जीवक को भेजा
- बिम्बिसार ने वैशाली पर आक्रमण किया परन्तु असफल रहा
- बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रू (492-460 )ई.पू. ने उसकी हत्या कर सिंहासन प्राप्त किया
2. अजातशत्रु
- अजातशत्रु बौद्ध धर्म का अनुनायी था
- अजातशत्रु ने राजधानी में प्रथम बौद्ध महासभा का आयोजन करवाया
- अजातशत्रु ने लिच्छवी गणराज्य की राजधानी को जीतकर मगध साम्राज्य का हिस्सा बना लिया था
- अजातशत्रु को पितृहन्ता भी कहा जाता है
- इसने वैशाली की युद्ध सम्बन्धी जानकारी के लिए मंत्री वर्षकार को गुप्चर के रूप में भेजा
- इसने सेना की पहली पंक्ति को भेदने के लिए रथ मूसल बनाया तथा किले को तोड़ने के लिए महाशीलकंटक(बहुत बड़ा फेक कर मारने वाला यंत्र ) का प्रयोग किया
- इसने वैशाली को पराजित किया
- इसने राजगीर की किले बन्दी करवाई
- उदायिन ने भी अपने पिता अजातशत्रु की हत्या कर सिंहासन पर बैठा
3. उदायिन
- उदायिन ने पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) की स्थापना किया
- उदायिन ने पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया
4. नागदशक
- हर्यंक वंश का अन्तिम शासक नागदशक था
- यह एक कमजोर शासक हुआ
- नागदशक की हत्या उसके सेनापति शिशुनाग के द्वारा की गयी थी
- मगध का अगला राजा शिशुनाग बना
शिशुनाग वंश
- हर्यक वंश के एक सेनापति शिशुनाग ने मगध के सिंहासन पर अधिकार करके शिशुनाग वंश की स्थापना की
- शिशुनाग वंश के शासनकाल में राजधानी पाटलिपुत्र से बदलकर वैशाली ले जायी गयी
- इस वंश के शासक ‘कालाशोक’ के शासन में दूसरी बौद्ध महासभा का आयोजन राजधानी वैशाली में हुआ
- इस वंश की प्रमुख उपलब्धि अवन्ति (उज्जैन) को जीतकर मगध साम्राज्य में मिलाना था।
नन्द वंश
- शिशुनाग वंश के अन्तिम शासक नंदिवर्धन की हत्या कर महापद्मनन्द ने नन्द वंश की नीव रखी।
महापद्मनन्द
- बौद्ध ग्रंथ महाबोधिवेश में महापद्मनन्द को उग्रसेन कहा गया
- महापद्मनन्द ने उड्डीसा में कलिग को जीता तथा वहाँ नहरों का निर्माण कराया
- नन्दवंश का अन्तिम शासक धनानन्द था
धनानन्द
- धनानन्द के शासनकाल मे चाणक्य (विष्णुगुप्त या कौटिल्य) को अपमानित किया गया था।
- धनानन्द के शासनकाल में सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया।
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