सम्बन्ध बोधक अव्यय | Sambandh Bodhak Avvaya
- वह शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य में आये अन्य शब्दों से स्थापित करे उसे, सम्बन्ध बोधक अव्यय कहते है
- इन्हें अंग्रेजी भाषा में Postpositions भी कहा जाता है
सम्बन्ध बोधक अव्यय शब्द
- बिना
- पीछे
- सामने
- शिवाय
- ऊपर
- नीचे
- वास्ते
- बहार
- भीतर
- आदि
जैसे:-
- मेज के पर ग्लास रखा है
- घर के सामने गली है
- धन के बिना जीवन यापन करना मुश्किल है।
- आप के शिवाय इस काम को कोई और नही कर सकता।
सम्बन्ध सूचक अव्यय के भेद
सम्बन्ध बोधक अव्यय के निम्न भेद है
- करण वाचक
- सम्प्रदानवाचक
- अपादानवाचक
- दिशावाचक
- स्थान वाचक
- काल वाचक
- विषयवाचक
स्थान वाचक :-
- वह अव्यय जो स्थान का बोध कराता है स्थान सम्बन्ध बोधक अव्यय कहलाता है ।
जैसे:-
- अंदर, बाहर, ऊपर, नीचे, सामने, पर, से, तक, चारों ओर आदि।
उदाहरण:
- राम बक्से के अंदर कपड़े रख रहा हैं।
- टेबल पर ग्लास रखा हुआ है।
- वह रोड़ पर चल रहा है ।
- मेरा दुकान, हीरो एजेंसी के सामने है।
- मजदूर पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे हैं।
- यहाँ चारों और हरियाली नजर आ रहा है।
काल वाचक:-
- वह अव्यय जो समय का बोध कराता है, काल सम्बन्ध बोधक अव्यय कहलाता है।
जैसे:-
- सुबह से, दोपहर से, शाम से, रात तक
- घंटा भर, दिन भर, महीना भर, वर्ष भर
- पहले, बाद में
- आज, कल, परसों
उदाहरण:-
- वह दोपहर से रो रहा है।
- वह कल से आ रहा है।
- हिमाचल में वर्ष भर सर्दी रहती है।
- मैं सुबह से पढ़ रहा हूँ।
- मजदूर दिन भर काम करता है।
- पूजा करने से पहले नहा-धो लो।
- कल मै दिल्ली जाऊंगा।
करणवाचक:-
- वह अव्यय जो माध्यम का बोध कराता है करण वाचक अव्यय कहलाता है।
जैसे:-
- से, बस से, हाथ से, द्वारा, के द्वारा आदि।
उदाहरण:-
- शीला ने पेन से पत्र लिखा।
- राम ने रावण को बाण से मारा।
- विकास ट्रेन से दिल्ली गया।
- बच्चा सायकिल से विद्यालय जाता है।
सम्प्रदान वाचक:-
- वह अव्यय जिसके लिए कुछ किया जाए, उसे सम्प्रदान वाचक अव्यय कहा जाता है।
जैसे:-
- को, के लिए ,हेतु आदि।
उदाहरण:-
- पिताजी ने मेरे लिए एक सायकिल खरीदा।
- रामू ने भिखारी को भीख दिया।
- मैंने राम को पत्र लिखा है।
- पी.एम. आवास योजना केवल गरीबों के लिए है
अपादान वाचक:-
- वह अव्यय जो अलगाव का बोध कराता है, उसे अपादान वाचक अव्यय कहा जाता है।
जैसे:-
- से, दूर, अलग आदि।
उदाहरण:-
- पर्वत से नदी निकल रही है।
- माली पौधे से फूल तोड़ रहा है।
- मुझे नशा से दूर रहना है।
- पेड़ से फल गिर रहे है।
दिशा वाचक:-
- वह अव्यय जो दिशा के बारे में बोध कराती है, उसे दिशा वाचक अव्यय कहते है।
जैसे:-
- दाएं, बाएं, आगे, पीछे आदि।
- की ओर, की तरफ, बगल में आदि।
उदाहरण:-
- अमित पूरब की ओर जा रहा है।
- यह सड़क दिल्ली की ओर जाता है
- वृद्धा घर की ओर जा रहा है।
सम्बन्ध वाचक:-
- वह अव्यय जो मालिकाना हक का बोध कराता है, उसे सम्बन्ध वाचक अव्यय कहा जाता है।
जैसे:-
- का, की, के, रा, री, रे आदि।
उदाहरण:-
- यह राम की कार है।
- वह राजू का घर है।
- यह मेरा दुकान है।
- यह कम्पनी मेरे चाचा जी का है
विषय वाचक:-
- वह अव्यय जो किसी विषय के बारे में बोध कराती है, उसे विषय वाचक अव्यय कहते है।
जैसे:-
- के विषय में, के बारे में, पर आदि।
उदाहरण:-
- मैं शोले फिल्म के बारे में लिख रहा हूँ।
- मै लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध लिख रहा हु
- मोहन अन्तरिक्ष विज्ञान में शोध कर रहा है
- पुलिस हत्या के बारें में पूछ-ताछ कर रही है
निष्कर्ष:
- सम्बन्ध बोधक अव्यय हिन्दी व्याकरण का अभिन्न अंग हैं।
- इसके प्रयोग से भाषा स्पष्ट और अर्थपूर्ण बन जाती है।
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