सिख धर्म
- सिख धर्म में कुल दस सिख गुरु हुए
- प्रथम गुरु गुरुनानक जी थे
- अंतिम गुरु गुरु गोविन्द सिंह थे
पंच तख्त
- अकाल तख्त साहिब
- केश गढ़ तख्त साहिब
- दमदमा साहिब
- पटना साहिब (पटना)
- हुजुर साहिब (महाराष्ट्र)
गुरु पद क्रमांक | सिख गुरु |
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1. | गुरुनानक देव |
2. | गुरु अंगद |
3. | गुरु अमरदास |
4. | गुरु रामदास |
5. | गुरु अर्जुनदेव |
6. | गुरु हर गोविन्द |
7. | गुरु हर राय |
8. | गुरु हरि किशन |
9. | गुरु तेंग बहादुर |
10. | गुरु गोविन्द सिंह |
जन्म | 1469 |
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जन्म स्थान | तलवंडी (लाहौर) नया नाम ननकाना साहिब |
पिता | कालू मेहता |
माता | तृप्ता देवी |
पत्नी | सुलक्षना देवी |
मृत्यु | 1539 |
मृत्यु स्थान | करतारपुर(पाकिस्तान) |
गुरुनानक
कार्यकाल (1469-1539)
- ये सिख धर्म के पहले गुरु थे
- इन्हें कार्तिक की पूर्णिमा को ज्ञान प्राप्ति की प्राप्ति हुई
- इन्होंने सिख धर्म की स्थापना किया
- इन्होने कीर्तन विधि से ईश्वर प्राप्ति का साधन बताया
- ये निर्गुण भक्ति शाखा में विश्वास रखते थे
- इन्हें पुनर्जन्म जन्म और कर्म के सिद्धान्त में विश्वास था
- ये सूफी सन्त बाबा फरीद से प्रभावित थे
- ये बाबर के समकालीन थे उस समय दिल्ली में लोदी वंश का शासन चल रहा था
- इन्होंने संगत(धर्मशाला) और पंगत (लंगर) प्रथा चलाया
- इन्होने निपक सम्प्रदाय की स्थपना किया था
- इन्होने ने अंतिम डेरा करतारपुर में डाला था
- गुरुनानक देव ने गुरु अंगद सिंह को उत्तराधिकारी बनाया
गुरु अंगद देव
कार्यकाल (1539-1552)
- ये सिख धर्म के दुसरे गुरु थे
- इनका वास्तविक नाम बाबा लहना था
- इन्होंने गुरु मुखी लिपि का अविष्कारक किया
- इन्होंने गुरुनानक देव की जीवनी लिखी
- इन्होंने खादुर में गुरुगद्दी की स्थापना की
- लंगर प्रथा को स्थायी बनाया
गुरु अमरदास
कार्यकाल (1552-1574)
- ये सिख धर्म के तीसरे गुरु थे
- इन्होंने सती प्रथा का विरोध किया
- इन्होंने सिख धर्म का प्रचार प्रसार के लिए 22 गद्दियों की स्थापना किया
- प्रत्येक गद्दी के लिए महन्त की व्यवस्था की थी
- अकबर ने 500 बीघा जमीन दान दिया
गुरु रामदास
कार्यकाल (1574-1581)
- ये सिख धर्म के चौथे गुरु थे
- ये अकबर के समकालीन थे
- इन्होंने अमृतसर नगर को बसाया
- इन्होने गुरु पद को पैत्रिक बना दिया और अपने पुत्र अर्जुन देव को उत्तराधिकारी बना दिया
गुरु अर्जुनदेव
कार्यकाल (1581-1606)
- ये सिख धर्म के पाचवे गुरु थे
- ये जहाँगीर के समकालीन थे
- इन्होंने स्वर्ण मंदिर(हरमिन्दर साहिब) का निर्माण कराया
- इन्होने करतारपुर, तरनतरण और व्यासपुर नगर का निर्माण करवाया
- इन्हें सच्चा बादशाह कहा जाता है
- इन्होंने गुरु ग्रन्थ साहिब(आदि ग्रन्थ ) का संकलन किया
- इन्होने आय का दशांश (दसवा भाग ) कर वसूलने का प्रावधान किया
- इन्होने खुसरो की सहायता किया था इसलिए मुगल बादशाह जहाँगीर ने इनकी हत्या करवा दी
गुरु हरगोविन्द सिंह
कार्यकाल (1606- 1645)
- ये सिख धर्म के छठे गुरु थे
- इन्होने कश्मीर में कीरतपुर नगर का निर्माण कराया
- इन्होंने अमृतसर नगर की किले बंदी करवाया
- इन्होंने 12फीट ऊँचा अकाल तख्त का निर्माण करवाया
- इन्होने सैन्य शिक्षा आरम्भ करवाया
- इन्होने दरबार में नगाड़ा बजाने की शुरुआत किया
- जहागीर ने इन्हें गिरफ्तार कर ग्वालियर के कैदखाना में दो वर्ष के लिए डाल दिया
- 1644 में इनकी मृत्यु हो गयी
गुरु हरराय
कार्यकाल (1645- 1661)
- ये सिख धर्म के सातवे गुरु थे
- ये दाराशिकोह के समकालीन थे
- इन्होंने दाराशिकोह की मदद की
गुरु हरकिशन
कार्यकाल (1661- 1664)
- ये सिख धर्म के आठवे गुरु थे
- इन्हे पांच वर्ष की आयु में ही गद्दी प्राप्त हो गई
- इनकी चेचक से मृत्यु हो गयी थी
गुरु तेग बहादुर
कार्यकाल (1664 – 1675)
- ये सिख धर्म के नव वे गुरु थे
- इनको हिन्द की चादर कहा गया
- इस्लाम कबूल न करने के कारण औरंगजेब ने इनकी हत्या करवा दी
गुरु गोविन्द सिंह
कार्यकाल (1675 – 1708)
- इन्होंने खालसा पन्त की स्थापना की
- ये सिख धर्म के दसवें व अन्तिम गुरु हुए
- इन्होंने गुरु परम्परा को समाप्त किया
- इन्होंने आनन्दपुर नगर का निर्माण कराया
- इन्होने ने पंचकगार की स्थापना किया था
- इनकी हत्या महाराष्ट्र में अजीम खान ने किया था
पंचकगार
- केश
- कंघा
- कड़ा
- कच्छा
- कृपाण
जन्म | 22 दिसम्बर 1666 |
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जन्म स्थान | पटना बिहार |
पिता | तेगबहादुर |
माता | गूजरी |
पद | सिखों के दसवें गुरु व अंतिम गुरु |
आत्मकथा | बचित्तर |
प्रसिद्दी | खालसा पद्धित की स्थपना |
मृत्यु | 7 अक्टूबर 1708 |
मृत्यु स्थान | महाराष्ट्र |