24 April 2025
छंद

छन्द किसे कहते है

छन्द

  • काव्य के व्याकरण को छन्द कहा जाता है
  • सर्वप्रथम प्रयोग ऋग्वेद में मिलता है
  • छन्द के प्रथम प्रणेता पिंगल ऋषि को माना जाता है
  • पिंगल ऋषि ने अपनी रचना छन्द सूत्रम् उल्लेख किया

छन्द के अंग

  • छन्द के सात अंग होते है
  1. चरण /पद
  2. वर्ण/मात्रा
  3. तुक
  4. लघु / गुरु
  5. यति (विराम)
  6. गति (लय)
  7. गण (संख्या क्रम)
उदाहरण
  • जाल परे जल जात वही, तजि मीरन को मोह 
  • रहिमन मछरी नीर को, तऊन छड़त दोह

छन्द के सूत्र

  • यमाताराजभानसलगा
  • य मा ता रा ज भा न स ल गा
  • Ι    ζ    ζ   ζ   Ι    ζ    Ι    Ι   Ι    ζ

छन्द के भेद

  • छन्द के चार भेद होते है
  1. मात्रिक छन्द (मात्रा)
  2. वर्णिक छन्द (वर्ण)
  3. उभय छन्द (वर्ण + मात्रा)
  4. मुक्तक छन्द(बिना वर्ण, बिना मात्रा)

मात्रिक छन्द

  • इसमें मात्राओ की गणना की जाती है

मात्रिक छन्द के भेद

  • मात्रिक छन्द के तीन भेद होते है
  1. सम मात्रिक छन्द
  2. अर्द्ध सम मात्रिक छन्द
  3. विषम मात्रिक छन्द

सम मात्रिक छन्द

  1. चौपाई (16)
  2. रोला (24)
  3. गीतिका (26)
  4. हरि गीतिका (28)
  5. रूपमाला (24)
  6. वीर (आल्हा )छन्द(31)

चौपाई (16)

  • यह एक सममात्रिक छन्द है
  • इसमें चार चरण होते है
  • प्रत्येक चरण में 16 मत्राए होती है
  • प्रत्येक चरण के अंत में दो गुरु मत्राए (ςς) पायी जाती है
  • पहले चरण का तुक, दुसरे चरण से तथा तीसरे चरण का तुक, चौथे चरण से मिलता है
उदाहरण
  • जय हनुमान ज्ञान गुन सागर(16 मत्राए)
  • जय कपीस तिहुँ लोक उजागर (16 मत्राए)

अर्द्ध सम मात्रिक छन्द

  1. दोहा(13, 11, 13 11)
  2. सोरठा((11, 13, 11, 13)
  3. बरवै (12 ,7)
  4. उल्लाला(28) ⇒ 15, 13, 15, 13

दोहा

  • यह अर्ध-सममात्रिक छन्द है
  • इसमें चार चरण होते है
  • इसमें कुल 24 मत्राए होती है
  • पहले और तीसरे चरण में 13-13 मत्राए होती है
  • दुसरे और चौथे चरण में 11-11 मत्राए होती है

सोरठा

  • यह अर्ध-सममात्रिक छन्द है
  • इसमें चार चरण होते है
  • इसमें कुल 24 मत्राए होती है
  • पहले और तीसरे चरण में 11-11 मत्राए होती है
  • दुसरे और चौथे चरण में 13 -13 मत्राए होती है

बरवौ

  • यह अर्ध-सममात्रिक छन्द है
  • इसमें चार चरण होते है
  • इसमें कुल 19 मत्राए होती है
  • पहले और दूसरें चरण में 12-7 मत्राए होती है
  • तीसरे और चौथे चरण में 12 -7 मत्राए होती है

उल्लाला

  • यह अर्ध-सममात्रिक छन्द है
  • इसमें चार चरण होते है
  • इसमें कुल 28 मत्राए होती है
  • पहले और दूसरें चरण में 15-13 मत्राए होती है
  • तीसरे और चौथे चरण में 15 -13 मत्राए होती है

विषम मात्रिक

  • कुण्डलिया (दोहा + रोला)
  • छप्पय (दोहा + उल्लाला)

कुण्डलिया

  • यह विषम-मात्रिक छन्द है
  • यह दोहा + रोला से मिलकर बना है
  • इसमें छ: चरण होते है
  • प्रथम दो चरण दोहा और अन्तिम चार चरण रोला होता है

छप्पय

  • यह विषम-मात्रिक छन्द है
  • यह रोला + उल्लाला  से मिलकर बना है
  • इसमें छ: चरण होते है
  • प्रथम चार चरण रोला और अन्तिम दो  चरण उल्लाला होता है

वर्णिक छन्द

  • इसमें वर्णों की गणना की जाती है

वर्णिक छन्दव के भेद

इसके तीन भेद होते है

  1. सम वर्णिक
  2. अर्द्ध-सम वर्णिक
  3. विषम वर्णिक

सम वर्णिक के भेद

  1. साधारण सम वर्णिक
  2. दण्डक सम वर्णिक

साधारण सम वर्णिक

  • इसमें 1 से 26 तक के वर्ण होते है

 

दण्डक सम वर्णिक

  • इसमें 26 से अधिक वर्ण होते है

 

  • इन्द्रवज्रा (11)
  • उपेन्द्रवज्रा (11)
  • भुजंगी (11)
  • स्वागता (11)
  • वसन्त तिलका (14)
  • मनहर कविन्त
  • वंशस्थ
  • भुजंग प्रपात
  • द्रुत बिलम्बित (12)
  • मालिनी (15) ⇒ (7 + 8)
  • मद्राक्रान्ता (17) ⇒ (10 + 7)
  • सवैया
  • कविन्त  (31) ⇒ (16 + 15)

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