25 April 2025

उपमा अलंकार क्या है? परिभाषा, प्रकार और 10+ आसान उदाहरणों से समझें

उपमा अलंकार: परिभाषा, प्रकार और रोचक उदाहरण

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उपमा अलंकार क्या है?

  • उपमा अलंकार हिंदी काव्यशास्त्र का एक प्रमुख अर्थालंकार है जिसमें किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु से की जाती है।
  • यह काव्य को सजीव और प्रभावशाली बनाता है।

उपमा अलंकार की परिभाषा

  • “जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु की समानता किसी अन्य प्रसिद्ध व्यक्ति या वस्तु से दर्शाई जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।”

उपमा अलंकार के अंग

  • उपमा अलंकार के चार अंग है
  1. उपमेय: ⇒ जिसकी उपमा दी जाए
  2. उपमान: ⇒ जिससे उपमा दी जाए
  3. साधारण धर्म: ⇒ समानता का आधार
  4. वाचक शब्द: ⇒ जैसे, सा, सम, सी आदि

उपमा अलंकार के प्रकार

  • यह दो प्रकार का होता है
  1. पूर्णोपमा
  2. लुप्तोपमा

पूर्णोपमा

  • जब उपमा के सभी चारों अंग उपस्थित हों।

उदाहरण:

  • “सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊँचा हो जिसका मन”

लुप्तोपमा

  • जब उपमा का कोई एक अंग लुप्त हो।

उदाहरण:

  • “चरण कमल बंदौं हरि राई” (यहाँ वाचक शब्द लुप्त है)

उपमा के उदाहरण

  • “मुख चंद्रमा-सा सुंदर है”
  • “नीलकंठ-सा कंठ उसका”
  • “हैं हाथी-सा विशालकाय”
  • “बाल काली घटा-सा घना”
  • “नयन कमल-सा कोमल”
  • “वाणी मधु-सा मधुर”
  • “गति बिजली-सा तीव्र”
  • “हृदय सागर-सा विशाल”
  • “मुस्कान चाँदनी-सा उज्ज्वल”
  • “वक्तृता सरस्वती-सा प्रवाहमयी”

उपमा अलंकार का महत्व

  • यह अलंकार काव्य को सजीव बनाता है
  • यह भावों को स्पष्ट करता है
  • यह  कल्पना शक्ति को विकसित करता है
  • वर्णन को रोचक बनाता है

उपमा vs रूपक अलंकार

प्रकृति समानता दर्शाना अभेद दर्शाना
वाचक शब्द सा, सम, सी आदि नहीं होता
उदाहरण मुख चंद्रमा-सा चरण कमल हैं

निष्कर्ष

  • उपमा अलंकार हिंदी काव्य का मूलभूत अलंकार है जो तुलना के माध्यम से कविता को सजीव और प्रभावशाली बनाता है।
  • यह कवियों द्वारा सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला अलंकार है।

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