उपमा अलंकार: परिभाषा, प्रकार और रोचक उदाहरण
उपमा अलंकार क्या है?
- उपमा अलंकार हिंदी काव्यशास्त्र का एक प्रमुख अर्थालंकार है जिसमें किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु से की जाती है।
- यह काव्य को सजीव और प्रभावशाली बनाता है।
उपमा अलंकार की परिभाषा
- “जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु की समानता किसी अन्य प्रसिद्ध व्यक्ति या वस्तु से दर्शाई जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।”
उपमा अलंकार के अंग
- उपमा अलंकार के चार अंग है
- उपमेय: ⇒ जिसकी उपमा दी जाए
- उपमान: ⇒ जिससे उपमा दी जाए
- साधारण धर्म: ⇒ समानता का आधार
- वाचक शब्द: ⇒ जैसे, सा, सम, सी आदि
उपमा अलंकार के प्रकार
- यह दो प्रकार का होता है
- पूर्णोपमा
- लुप्तोपमा
पूर्णोपमा
- जब उपमा के सभी चारों अंग उपस्थित हों।
उदाहरण:
- “सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊँचा हो जिसका मन”
लुप्तोपमा
- जब उपमा का कोई एक अंग लुप्त हो।
उदाहरण:
- “चरण कमल बंदौं हरि राई” (यहाँ वाचक शब्द लुप्त है)
उपमा के उदाहरण
- “मुख चंद्रमा-सा सुंदर है”
- “नीलकंठ-सा कंठ उसका”
- “हैं हाथी-सा विशालकाय”
- “बाल काली घटा-सा घना”
- “नयन कमल-सा कोमल”
- “वाणी मधु-सा मधुर”
- “गति बिजली-सा तीव्र”
- “हृदय सागर-सा विशाल”
- “मुस्कान चाँदनी-सा उज्ज्वल”
- “वक्तृता सरस्वती-सा प्रवाहमयी”
उपमा अलंकार का महत्व
- यह अलंकार काव्य को सजीव बनाता है
- यह भावों को स्पष्ट करता है
- यह कल्पना शक्ति को विकसित करता है
- वर्णन को रोचक बनाता है
प्रकृति | समानता दर्शाना | अभेद दर्शाना |
---|---|---|
वाचक शब्द | सा, सम, सी आदि | नहीं होता |
उदाहरण | मुख चंद्रमा-सा | चरण कमल हैं |
निष्कर्ष
- उपमा अलंकार हिंदी काव्य का मूलभूत अलंकार है जो तुलना के माध्यम से कविता को सजीव और प्रभावशाली बनाता है।
- यह कवियों द्वारा सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला अलंकार है।