विप्सा अलंकार: परिभाषा, विशेषताएं और उदाहरण | हिंदी व्याकरण
विप्सा अलंकार क्या है?
- विप्सा अलंकार हिंदी काव्य शास्त्र का एक दुर्लभ और विशिष्ट अर्थालंकार है जिसमें किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति अत्यधिक लालसा या ललक को व्यक्त किया जाता है।
- यह अलंकार मनुष्य की गहरी इच्छाओं और आकांक्षाओं को काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत करता है।
विप्सा अलंकार की परिभाषा
“जहाँ किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति के प्रति अत्यधिक लालसा, तीव्र इच्छा या गहन आकांक्षा व्यक्त की जाए, वहाँ विप्सा अलंकार होता है।”
विशेषताएं:
- अत्यधिक लालसा या ललक का वर्णन
- गहन भावनात्मक अभिव्यक्ति
- मनोवैज्ञानिक तत्वों का समावेश
- काव्य को भावुक और प्रभावशाली बनाना
- दुर्लभ प्रयोग वाला अलंकार
अन्य उदाहरण
“पानी-पानी करती वह प्यासी चकी,
पर न मिला जल कहीं भी उसको”
- (पानी के लिए तीव्र लालसा)
“दिन रात वह उस दर्शन को तरसता,
पर देव न आए उसकी झोंपड़ी में”
- (दर्शन की लालसा)
“खोजता फिरता वह सुख के सागर को,
पर मिला केवल दुख की लहरें उसे”
- (सुख की तीव्र इच्छा)
“चाहता था वह स्वर्णिम भविष्य को,
पर भाग्य ने दिया केवल अंधकार”
- (भविष्य की आकांक्षा)
साहित्यिक महत्व:
- यह भावनाओं की गहराई को व्यक्त करता है
- यह पाठक के मन में सहानुभूति जगाता है
- यह काव्य को मार्मिक बनाता है
- यह मानवीय इच्छाओं का सशक्त चित्रण करता है
- यह दुर्लभ प्रयोग से काव्य को विशिष्टता प्रदान करता है
विशेषता | विप्सा अलंकार | उत्प्रेक्षा अलंकार |
---|---|---|
प्रकृति | लालसा का वर्णन | समानता का आभास |
भाव | गहन इच्छा | संदेह/कल्पना |
उदाहरण | पानी-पानी करती | मनु चंद्रमा है |
निष्कर्ष:
- विप्सा अलंकार हिंदी काव्य की एक विशिष्ट विधा है जो मानवीय लालसाओं और आकांक्षाओं को काव्यात्मक अभिव्यक्ति प्रदान करती है।
- यद्यपि इसका प्रयोग दुर्लभ है, किंतु जहाँ भी प्रयुक्त हुआ है, वहाँ काव्य को असाधारण गहराई और भावुकता प्रदान की है।