गीतिका छंद: परिभाषा, विशेषताएँ और उदाहरण | हिंदी काव्यशास्त्र
गीतिका छंद क्या है?
- गीतिका हिंदी काव्य का एक अत्यंत संगीतमय मात्रिक छंद है जिसका प्रयोग प्रेम और भावनात्मक विषयों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
- यह अपनी मधुर लय के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
गीतिका छंद की परिभाषा
“गीतिका एक मात्रिक छंद है जिसके प्रत्येक चरण में 26 मात्राएँ होती हैं और 14वीं एवं 12वीं मात्रा पर यति होती है। इसके सभी चरणों के अंत में दो गुरु (ऽऽ) होते हैं।”
गीतिका छंद की विशेषताएँ:
मात्रा विन्यास:⇒ 26 मात्राएँ प्रति चरण (14+12)
यति स्थान:⇒ 14वीं और 12वीं मात्रा पर
अंत यति:⇒ प्रत्येक चरण के अंत में दो गुरु (ऽऽ)
भाषा शैली:⇒ कोमल और संगीतमय
प्रयोग:⇒ प्रेम और भावनात्मक काव्य
चरण: | 26 मात्राएँ (14+12) |
यति: | 14वीं और 12वीं मात्रा पर |
अंत: | प्रत्येक चरण के अंत में ऽऽ |
गीतिका छंद के उदाहरण
प्रेम भावना का उदाहरण:
“प्रियतम मिलन की आस लिए, हृदय धड़कन बन गीत।
तुम बिन जीवन अधूरा है, यह प्रेम है अनमित॥”
प्रकृति वर्णन का उदाहरण:
“वसंत ऋतु आई सखी रे, फूल खिले डाली डाल।
कोयल कूक रही अमराई, मन भया उन्मत्त बाल॥”
भक्ति भावना का उदाहरण:
“हरि चरणों में अर्पित है, यह जीवन सारथी।
भक्ति रस पियो सजनो, बनो प्रभु की रथी॥”
विशेषता | गीतिका छंद | रोला छंद |
---|---|---|
मात्राएँ | 26 प्रति चरण | 24 प्रति चरण |
यति | 14+12 मात्राओं पर | 11+13 मात्राओं पर |
अंत यति | दो गुरु (ऽऽ) | विषम: ऽ।,
सम: ।ऽ |
प्रयोग | प्रेम/भावनात्मक काव्य | वीर/श्रृंगार रस |
गीतिका छंद का महत्व
- यह हिंदी काव्य का सर्वाधिक संगीतमय छंद है
- यह प्रेम और भावनात्मक विषयों की अभिव्यक्ति के लिए आदर्श है
- यह गीत और ग़ज़ल लेखन में उपयोगी है
- यह सरलता से गाया जा सकने वाला छंद है
- यह हिंदी साहित्य का महत्वपूर्ण अंग है
निष्कर्ष
- गीतिका छंद हिंदी काव्य की एक अनूठी विधा है जो अपनी मधुर लय और संगीतात्मकता के कारण विशेष स्थान रखती है।
- यह छंद प्रेम और भावनात्मक विषयों की अभिव्यक्ति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।