उल्लाला छंद: परिभाषा, विशेषताएँ और उदाहरण
उल्लाला छंद क्या है?
- उल्लाला छंद हिंदी काव्य का एक मुक्त छंद है जिसमें मात्रा और वर्ण की बंधन मुक्तता होती है।
- यह छंद भावनाओं की स्वच्छंद अभिव्यक्ति के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है और आधुनिक हिंदी कविता में इसका व्यापक प्रयोग होता है।
उल्लाला छंद की परिभाषा
उल्लाला छंद की मुख्य विशेषता इसकी मुक्त संरचना है।
इसमें: कोई निश्चित मात्रा संख्या नहीं होती
कोई निश्चित वर्ण संख्या नहीं होती
तुक की अनिवार्यता नहीं होती
पंक्तियों की लंबाई अलग-अलग हो सकती है
उल्लाला छंद के मुख्य लक्षण
मुक्त संरचना:⇒ निश्चित मात्रा या वर्ण बंधन नहीं
भावप्रधान:⇒ भावों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति
लयबद्धता:⇒आंतरिक लय महत्वपूर्ण
भाषा:⇒ सहज और प्रवाहमयी
विषय:⇒ विविध विषयों के लिए उपयुक्त
उल्लाला छंद के उदाहरण
भावनात्मक
“कभी-कभी लगता है
जीवन एक नदी है
जो बहती चली जाती है
अपने अज्ञात गंतव्य की ओर
और हम
बस देखते रह जाते हैं
इस प्रवाह को”
प्रकृति वर्णन
“वृक्षों की डालियों पर बैठे पक्षी
गा रहे हैं अपना मधुर गान
हवा के झोंके
ले आए हैं फूलों की सुगंध
और मेरा मन
उड़ना चाहता है आकाश की अनंत ऊँचाइयों तक”
उल्लाला छंद का ऐतिहासिक विकास
- पारंपरिक छंदों से मुक्ति की आवश्यकता
- आधुनिक भावबोध की अभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त
- निराला, पंत जैसे छायावादी कवियों द्वारा प्रयोग
- समकालीन कविता में व्यापक स्वीकृति
उल्लाला छंद का महत्व
- भावों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति का माध्यम
- आधुनिक जीवन की जटिलताओं को व्यक्त करने में सक्षम
- कवि की रचनात्मक स्वतंत्रता को बढ़ावा
- पाठकों के साथ सीधा संवाद स्थापित करने में सहायक
निष्कर्ष
- उल्लाला छंद हिंदी काव्य की एक प्रगतिशील विधा है जो कवि को पारंपरिक बंधनों से मुक्त करती है।
- यह छंद आधुनिक मनोभावों और जीवन की जटिलताओं को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है।
- आज के समय में यह छंद हिंदी कविता का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है।