- इल्तुतमिश: दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक
इल्तुतमिश: एक संक्षिप्त परिचय
- इसका पूरा नाम शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश था
- इसका शासनकाल 1211 ई.से 1236 ई. तक रहा
- यह दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश का तीसरा और सबसे सफल शासक था।
- उसे दिल्ली सल्तनत का ‘वास्तविक संस्थापक’ माना जाता है क्योंकि उसने मोहम्मद गौरी और कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा जीते गए क्षेत्रों को एक सुसंगठित साम्राज्य में बदल दिया।
जन्म: | 1210 ई. |
मूल नाम: | शम्स-उद-दीन |
गुलामी से उदय: | कुतुबुद्दीन ऐबक ने उसे खरीदा |
पद यात्रा: | बदायूँ का गवर्नर |
शासनकाल | (1211-1236) |
इल्तुतमिश की प्रमुख उपलब्धियाँ
- राजनीतिक सफलताएँ
- प्रशासनिक सुधार
- वास्तुकला में योगदान
राजनीतिक सफलताएँ:
- इसने रजिया सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित किया (भारत की पहली महिला शासक)
- इसने चालीसा दल (तुर्कान-ए-चिहालगानी) का गठन किया
- इसने मंगोल आक्रमणकारी चंगेज खान को भारत में प्रवेश से रोका
चालीसा दल (तुर्कान-ए-चिहालगानी)
- चालीस शक्तिशाली तुर्क अमीरों का समूह
- ये सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य करते थे
प्रशासनिक सुधार:
सिक्का व्यवस्था:
- इसने चाँदी का ‘टंका’ और ताँबा का ‘जीतल’ सिक्के प्रचलित किए
इक्ता प्रणाली:
- इसने भू-राजस्व वितरण की नई व्यवस्था (इक्ता प्रणाली) की शुरुआत किया
केंद्रीकृत शासन:
- इसने केंद्रीकृत शासन प्रणाली ला कर सुल्तान की सत्ता को मजबूत बनाया
वास्तुकला में योगदान
कुतुबमीनार:
- इसने कुतुबमीनार का निर्माण पूरा करवाया (कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा शुरू किया गया था)
सुल्तानगढ़ी का मकबरा
- इसने दिल्ली में सुल्तानगढ़ी का मकबरा (भारत का पहला इस्लामिक मकबरा) बनवाया
निष्कर्ष
- इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत को एक संगठित साम्राज्य में बदल दिया।
- उसकी प्रशासनिक सुधारों और सैन्य सफलताओं ने भारत में तुर्क शासन को मजबूत आधार प्रदान किया।
- प्रतियोगी परीक्षाओं में इल्तुतमिश से संबंधित प्रश्न अक्सर दिल्ली सल्तनत के संदर्भ में पूछे जाते हैं।