27 July 2025
बिंदुसार

बिंदुसार: जीवन, शासनकाल और ऐतिहासिक महत्व | Bindusara Maurya History in Hindi

  • बिंदुसार: मौर्य वंश का महान शासक

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जन्म 320 ई.पू.
पिता चंद्रगुप्त मौर्य
माता दुर्धरा (जैन स्रोतों के अनुसार)
उत्तराधिकार 298 ई.पू. में सिंहासनारूढ़
राज्याभिषेक चाणक्य द्वारा संपन्न
मृत्यु 273 ई.पू.

बिंदुसार: परिचय

  • बिंदुसार (298-273 ई.पू.) मौर्य साम्राज्य का दूसरा शासक था जिसने चंद्रगुप्त मौर्य के बाद सत्ता संभाली।
  • उसका शासनकाल मौर्य साम्राज्य के सुदृढ़ीकरण और विस्तार का काल था।
  • बिंदुसार को “अमित्रघात” (शत्रुओं का विनाशक) की उपाधि से भी जाना जाता था।

शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ

  • साम्राज्य विस्तार
  • विदेशी संबंध
  • धार्मिक नीतियाँ
  • प्रशासनिक व्यवस्था
  • पारिवारिक जीवन
  • मृत्यु और विरासत

साम्राज्य विस्तार

  • दक्षिण भारत की ओर विस्तार (कलिंग को छोड़कर)
  • 16 महाजनपदों को मौर्य साम्राज्य में मिलाया
  • दक्कन क्षेत्र में विजय अभियान

विदेशी संबंध

  • सीरियाई शासक एंटियोकस I के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध
  • मिस्र के फैरो टॉलेमी II फिलाडेल्फस के दूत डायमेकस का स्वागत
  • यूनानी स्रोतों में उसे “अमित्रोकेट्स” कहा गया

धार्मिक नीतियाँ

  • आजीवक सम्प्रदाय को संरक्षण
  • जैन धर्म के प्रति सहिष्णुता
  • ब्राह्मणों को दान और सम्मान

प्रशासनिक व्यवस्था

  • केंद्रीकृत प्रशासन को जारी रखा
  • मंत्रिपरिषद का महत्व (चाणक्य का प्रभाव)
  • प्रांतीय शासन को सुचारु बनाया

पारिवारिक जीवन

पत्नियाँ:

  • सुभद्रांगी (अशोक की माता)
  • कई अन्य

पुत्र:

  • अशोक
  • सुशीम
  • विगताशोक
  • आदि

उत्तराधिकार संघर्ष:

  • अशोक ने सुशीम को हराया

मृत्यु और विरासत

मृत्यु:

  • 273 ई.पू. में72 दिनों के उपवास के बाद जैन स्रोतों के अनुसार

उत्तराधिकारी:

  • अशोक महान

योगदान:

  • मौर्य साम्राज्य को सुदृढ़ बनाना

ऐतिहासिक स्रोत

जैन ग्रंथ:

  • राजावलिकथा

बौद्ध ग्रंथ:

  • दिव्यावदान

यूनानी स्रोत:

  • स्ट्रेबो
  • एथेनियस

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

शासनकाल:

  • 298-273 ई.पू.

उपाधि:

  • अमित्रघात

विदेशी संबंध:

  • एंटियोकस I
  • टॉलेमी II

मंत्री:

  • चाणक्य (कुछ स्रोतों के अनुसार)

निष्कर्ष

  • बिंदुसार ने मौर्य साम्राज्य को एक सुसंगठित और विस्तृत साम्राज्य के रूप में स्थापित किया।
  • उसके शासनकाल ने अशोक के लिए मजबूत आधार तैयार किया।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके विदेशी संबंधों और प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्न पूछे जाते हैं।

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