- बिंदुसार: मौर्य वंश का महान शासक
जन्म | 320 ई.पू. |
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पिता | चंद्रगुप्त मौर्य |
माता | दुर्धरा (जैन स्रोतों के अनुसार) |
उत्तराधिकार | 298 ई.पू. में सिंहासनारूढ़ |
राज्याभिषेक | चाणक्य द्वारा संपन्न |
मृत्यु | 273 ई.पू. |
बिंदुसार: परिचय
- बिंदुसार (298-273 ई.पू.) मौर्य साम्राज्य का दूसरा शासक था जिसने चंद्रगुप्त मौर्य के बाद सत्ता संभाली।
- उसका शासनकाल मौर्य साम्राज्य के सुदृढ़ीकरण और विस्तार का काल था।
- बिंदुसार को “अमित्रघात” (शत्रुओं का विनाशक) की उपाधि से भी जाना जाता था।
शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ
- साम्राज्य विस्तार
- विदेशी संबंध
- धार्मिक नीतियाँ
- प्रशासनिक व्यवस्था
- पारिवारिक जीवन
- मृत्यु और विरासत
साम्राज्य विस्तार
- दक्षिण भारत की ओर विस्तार (कलिंग को छोड़कर)
- 16 महाजनपदों को मौर्य साम्राज्य में मिलाया
- दक्कन क्षेत्र में विजय अभियान
विदेशी संबंध
- सीरियाई शासक एंटियोकस I के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध
- मिस्र के फैरो टॉलेमी II फिलाडेल्फस के दूत डायमेकस का स्वागत
- यूनानी स्रोतों में उसे “अमित्रोकेट्स” कहा गया
धार्मिक नीतियाँ
- आजीवक सम्प्रदाय को संरक्षण
- जैन धर्म के प्रति सहिष्णुता
- ब्राह्मणों को दान और सम्मान
प्रशासनिक व्यवस्था
- केंद्रीकृत प्रशासन को जारी रखा
- मंत्रिपरिषद का महत्व (चाणक्य का प्रभाव)
- प्रांतीय शासन को सुचारु बनाया
पारिवारिक जीवन
पत्नियाँ:
- सुभद्रांगी (अशोक की माता)
- कई अन्य
पुत्र:
- अशोक
- सुशीम
- विगताशोक
- आदि
उत्तराधिकार संघर्ष:
- अशोक ने सुशीम को हराया
मृत्यु और विरासत
मृत्यु:
- 273 ई.पू. में72 दिनों के उपवास के बाद जैन स्रोतों के अनुसार
उत्तराधिकारी:
- अशोक महान
योगदान:
- मौर्य साम्राज्य को सुदृढ़ बनाना
ऐतिहासिक स्रोत
जैन ग्रंथ:
- राजावलिकथा
बौद्ध ग्रंथ:
- दिव्यावदान
यूनानी स्रोत:
- स्ट्रेबो
- एथेनियस
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
शासनकाल:
- 298-273 ई.पू.
उपाधि:
- अमित्रघात
विदेशी संबंध:
- एंटियोकस I
- टॉलेमी II
मंत्री:
- चाणक्य (कुछ स्रोतों के अनुसार)
निष्कर्ष
- बिंदुसार ने मौर्य साम्राज्य को एक सुसंगठित और विस्तृत साम्राज्य के रूप में स्थापित किया।
- उसके शासनकाल ने अशोक के लिए मजबूत आधार तैयार किया।
- प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर उसके विदेशी संबंधों और प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्न पूछे जाते हैं।