मध्यकालीन इतिहास
- अरब आक्रमण
- तुर्क आक्रमण
अरब आक्रमण
- अरब आक्रमण में सर्वप्रथम मोहम्मद बिन कासिम ने किया था
मोहम्मद बिन कासिम
- मोहम्मद बिन कासिम ने 712 में सिंध पर आक्रमण किया तथा 713 में मुल्तान पर आक्रमण किया
- मोहम्मद बिन कासिम ने जजिया कर लगाया
- जजिया कर में बच्चा, बुढ़ा, महिला, विकलांग, ब्राह्मण को छुट दिया गया था
जजिया कर
- जजिया कर गैर-मुस्लिम पर लगाया जाता था
- पहली बार जजिया कर लगाने वाला शासक मोहम्मद बिन कासिम
- ब्राह्मणों में जजिया कर लगाने वाला शासक फिरोज शाह तुगलक
- जजिया कर कर समाप्त करने वाला शासक अकबर
- दुबारा जजिया कर लगाने वाला शासक औरंगजेब
- पूर्ण रूप से जजिया कर खत्म करने वाला शासक मोहम्मद शाह रंगीला
तुर्क आक्रमण
- भारत में प्रथम तुर्क आक्रमण सुब्क्तगीन ने किया था
- सुब्क्तगीन का गुलाम महमूद गजनबी था
महमूद गजनबी
- महमूद गजनबी ने भारत पर कुल 17 बार आक्रमण किया था
- महमूद गजनबी ने सन 1025 ई. में सोमनाथ पर आक्रमण किया था
- महमूद गजनबी ने अंतिम हमला जाटों के विद्रोह को दबाने के लिए किया था
मोहम्मद गौरी
- मोहम्मद की गौरी की पहली हार 1178 में भीम द्वितीय से हुयी थी
- तराइन का प्रथम युद्ध 1191 में मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ था, जिसमें मोहम्मद गौरी की हार हुयी थी
- तराइन का द्वितीय युद्ध 1192 में मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ था, जिसमें पृथ्वीराज चौहान की हार हुयी थी
- चंदवर का प्रथम युद्ध 1194 में मोहम्मद गौरी तथा राजा जयचन्द के बीच हुआ जयचंद की हार हुयी
- कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी का गुलाम था
- मोहम्मद गौरी की मृत्यु 1206 में हुआ था
गुलाम वंश
गुलाम वंश का कार्यकाल(1206ई. से 1290ई. तक)
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना किया
- इस वंश को दास वंश, इलबरी वंश या ममलूक वंश भी कहा जाता है
गुलाम वंश के शासक
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- रजिया सुल्तान
- बलबन
1. कुतुबुद्दीन ऐबक
- दिल्ली का पहला तुर्क शासक कुतुबुद्दीन ऐबक को माना जाता है
- मुहम्मद गोरी मृत्यु के पश्चात कुतुबुद्दीन ने स्वयं को लाहौर का स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया
- कुतुबुद्दीन ऐबक बहुत दानी और उदार व्यक्ति था जिस कारण इसे लाखबक्श कहा गया
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में ढाई दिन का झोपड़ा का निर्माण करवाया
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में कुव्वत-उल-इस्लाम नामक मस्जिद का निर्माण करवाया
- कुतुबुद्दीन ऐबक के गुरु का नाम बख्तियार काकी था
- बख्तियार काकी के याद में कुतुब मीनार का निर्माण करवाया
- कुतुबमीनार की ऊंचाई 234 फुट है
- सेनापति कैमाज रूमी की मदद से कुतुबुद्दीन ने बंगाल को अपने अधीन किया
- कुतुबुद्दीन ने अली मर्दन खां को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया
- कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति का नाम बख्तियार खिलजी था
- बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगवा दिया था
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने इल्तुतमिश को गुलाम अपना गुलाम बनाया
- कुतुबुद्दीन ऐबक का मकबरा लाहौर में स्थित है
- कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद दिल्ली का शासक आरामशाह बना
2. इल्तुतमिश
- इल्तुतमिश को दिल्ली के अमीरों ने शासक बनाया
- इल्तुतमिश को शमसी वंश का शासक भी कहा जाता है
- इल्तुतमिश को गुलामों का गुलाम भी कहा गया
- दिल्ली सल्तनत का वास्तविक शासक इल्तुतमिश
- इल्तुतमिश ने दिल्ली को राजधानी बनाया
- तराइन का तृतीय युद्ध सन 1215 में इल्तुतमिश और याल्दोज के बीच हुआ
- तुर्कान-ए-चहलगानी चालीस तुर्क सरदारों का एक दल जिसे चालीसा कहा गया
- चालीसा का कार्य सुल्तान को सलाह देना
- उसने जीतल एवं टंका नाम के सिक्के चलाए
- इल्तुतमिश ने इक्ता व्यवस्था लागू की
- इल्तुतमिश ने हुसामुद्दीन को बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया
- इसने उज्जैन पर आक्रमण करके महाकाल मंदिर लूटा
- इसके शासनकाल के दौरान मंगोल शासक चंगेज खां ने पश्चिम-उत्तर भारत पर आक्रमण किया था
- रजिया की इल्तुतमिश की बेटी थी
- इल्तुतमिश ने अपनी ही बेटी रजिया को उत्तराधिकारी बनाया।
3. रजिया सुल्तान
- शासनकाल रजिया सुल्तान (1236-1240 ई.)
- इल्तुतमिश के बाद वह सन 1236 ई. में वह दिल्ली की गद्दी पर बैठी।
- रजिया दिल्ली सल्तनत की पहली और अंतिम महिला शासिका थी।
- रजिया बेगम ने जलालुद्दीन याकूत को अमीर-ए-आखूर नियुक्त किया था
- अस्तबल प्रमुख ⇒ याकुत
- भटिण्डा के सूबेदार अल्तूनिया से रजिया ने शादी की।
- इसी बीच इल्तुतमिश के एक पुत्र बहरामशाह ने सत्ता हथिया ली
- भटिण्डा से दिल्ली आते वक्त रजिया व अल्तूनिया की हत्या कैथल के निकट डाकुओ द्वारा कर दी गई
- इतिहासकार मिन्हाज-उस-सिराज के मुताबिक रजिया का स्त्री होना उसके पतन का सबसे बड़ा कारण था
4. बलबन
- बलबन चालीसा दल का सदस्य था
- इसने चालीसा दल को समाप्त कर दिया
- बलबन ईरान का निवासी था
- इसने ईरानी परम्परा को लागू किया
- इसने नौरोज परम्परा शुरू किया
- सिजदा परम्परा शुरूकिया
- पैबोस(पैर चूमना) परम्परा शुरू किया
- इसने रक्त और लोह की नीति आरम्भ किया
- इसने सुल्तान को ईश्वर का प्रतिनिधि बताया
- बलबन को उलूकखान की उपाधि दी गयी