24 April 2025
बहुव्रीहि समास

बहुव्रीहि समास

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बहुब्रीहि समास

  • जिस समस्त पद के दोनों पदों में से कोई भी पद प्रधान न हो, अपितु कोई तीसरा ही पद प्रधान हो अर्थात समस्त पद कोई अन्य ही अर्थ प्रकट करता हो वहाँ बहुब्रीहि समास होता है।

जैसे :-

  • दशानन दश आनन वाला अर्थात रावण

बहुब्रीहि समास के उदाहरण

समस्त पद                   समास विग्रह
  • नीलकंठ नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव
  • सुलोचना सुन्दर है लोचन(आँख) जिसकी  अर्थात् मेघनाथ की पत्नी
  • लंबोदर लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् ‘गणेश जी
  • गजानन गज के सामान  आनन जिसका अर्थात् ‘गणेश जी
  • पीतांबर पीला है अम्बर(वस्त्र) जिसके अर्थात् श्रीकृष्ण
  • श्वेतांबर श्वेत है जिसका अम्बर(वस्त्र) अर्थात् ‘सरस्वती जी
  • त्रिनेत्र तीन नेत्रो का समूह अर्थात भगवान शिव 
  • चतुर्मुख चार मुख हैं जिनके अर्थात् ‘भगवान  ब्रह्मा
  • चतुर्भुज चार भुजा(हाथ) हैं जिनके अर्थात् ‘भगवान  विष्णु
  • विषधर विष को धारण करने वाला अर्थात् साँप
  • चक्रधर चक्र को धारण करने वाले अर्थात् विष्णु
  • दशानन दस  हैं आनन जिनके अर्थात् ‘रावण
  • गिरिधर गिरी (पर्वत) को धारण करने वाले अर्थात् ”श्री कृष्ण
  • गोपाल गायों को पालने वाले अर्थात् ‘श्री कृष्ण’
  • महावीर महान वीर है जो अर्थात हनुमान
  • निशाचर निशा(रात्रि) में विचरण करने वाला अर्थात ‘राक्षस’
  • घनश्याम घन के समान श्याम है जो अर्थात ‘कृष्ण’
  • मृत्युंजय जो मृत्यु को जीतने वाला अर्थात ‘शिव’
  • अजातशत्रु नही पैदा हो शत्रु जिसका
  • अंशुमाली ⇒ अंशु (किरण) हो माला जिसकी अर्थात सूर्य
  • चंद्रशेखर ⇒ चन्द्र है शेखर(मस्तक) पर जिसके अर्थात शिव
  • पंकज पंक (कीचड़ ) में जन्म अर्थात कमल
  • पीताम्बर ⇒ पीला है जिसके वस्त्र अर्थात श्रीकृष्ण

बहुब्रीहि समास के भेद

बहुब्रीहि समास के भेद निम्न है

  • विशेषण पूर्व पद बहुब्रीहि
  • विशेषण उत्तर बहुब्रीहि
  • उपमान पूर्व पद बहुब्रीहि
  • संख्या पूर्व पद बहुब्रीहि
  • ‘अ’  अथवा ‘अन’ पूर्व पद बहुब्रीहि

विशेषण पूर्व पद बहुब्रीहि

  • लंबोदर लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् ‘गणेश जी

विशेषण उत्तर पद बहुब्रीहि

  • कनकटा
  • कनपका
  • मुखफटा
  • नककटा
  • कनफटा

उपमान पूर्व पद बहुब्रीहि

  • गजानन ⇒ गज के सामान  आनन जिसका अर्थात् ‘गणेश जी
  • घनश्याम ⇒ घन के समान श्याम है जो अर्थात ‘कृष्ण’ ‘

संख्या पूर्व पद बहुब्रीहि

  • चतुर्भुज चार भुजाएँ है जिनकी अर्थात् विष्णु’
  • त्रिनेत्र  तीन  नेत्र(आंख)   हैं जिनके अर्थात् ‘शिव’
  • चतुर्मुख चार मुख हैं जिनके अर्थात् ‘ब्रह्मा’
  • दशानन  दस  हैं आनन जिनके अर्थात् ‘रावण

‘अ’  अथवा ‘अन’ पूर्व पद बहुब्रीहि

  • असार ⇒  सार(तत्व ) न हो जिनमे

 

इन्हें भी देखें
  1. अव्ययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. कर्मधारय समास
  4. द्विगु समास
  5. द्वन्द समास
  6. बहुब्रीह समास

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